पटना : पटना ऑप्थेल्मोलॉजी सोसाइटी के द्वारा संजीवनी आई हॉस्पिटल रिसर्च इंस्टिट्यूट किदवईपुरी पटना में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें मोतियाबिंद के इलाज के नवीनतम तरीकों पर गहन चर्चा की गई। जिसमें विशेषज्ञों ने आंखों को सुरक्षित रखने और संक्रमण से आंखों की रोकथाम को लेकर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने नेत्र संक्रमण के लक्षण, सावधानियां व उपचार आदि के बारे में जानकारी दी। संगोष्ठी में राज्यभर से सरकारी, गैर सरकारी नेत्र चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि डॉ. एएसबी साहय ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सक के पास अपने विषय में दक्षता के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान का होना भी जरूरी है।
मरीज व उनके तीमारदारों के प्रति कुशल व्यवहार चिकित्सक को लोकप्रिय बनाते हैं – डॉ. एएसबी साहय
डॉ. साहय ने कहा कि मरीज व उनके तीमारदारों के प्रति कुशल व्यवहार चिकित्सक को लोकप्रिय बनाते हैं। देश के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. लव कोचगवे ने मोतियाबिंद के अत्याधुनिक उपचार और नई तकनीकों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब गर्भावस्था में ही कुछ बच्चों में मोतियाबिंद के लक्षण पाए जा रहे हैं, जिनका समय रहते उपचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यदि माता-पिता जल्द से जल्द लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर से परामर्श लें तो बच्चों में शुरुआती अवस्था में ही मोतियाबिंद का उपचार किया जा सकता है।
किसी की आंखों में पानी आने, दर्द होने या रोशनी कम होने जैसे लक्षण नजर आएं तो उस व्यक्ति की आंखों में संक्रमण हो सकता है – डॉ. सुनील
डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि यदि किसी की आंखों में पानी आने, दर्द होने या रोशनी कम होने जैसे लक्षण नजर आएं तो उस व्यक्ति की आंखों में संक्रमण हो सकता है। ऐसी स्थिति में उसे नेत्र सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि जब हमारी आंख का प्राकृतिक लेंस धुंधला पड़ जाता है, तो इस स्थिति को मोतियाबिंद कहा जाता है। इसके कारण हमें साफ तरीके से देख नहीं पाते हैं और यह बीमारी जितनी गंभीर होती है उतना ही दृष्टि प्रभावित हो जाती है।
मोतियाबिंद के लिए कोई चिकित्सा उपचार नहीं है
मोतियाबिंद के लिए कोई चिकित्सा उपचार नहीं है, जिसका अर्थ है कि स्पष्ट दृष्टि पाने के लिए, यदि मोतियाबिंद का कारण है, तो केवल सर्जरी ही इसका रास्ता है। यदि दृष्टि में कोई महत्वपूर्ण हानि हो, जो किसी की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर रही हो और जिसके परिणामस्वरूप दृश्य बाधा उत्पन्न हो रही हो तो सर्जरी की आवश्यकता होती है। कार्यक्रम में डॉ. सुभाष प्रसाद, डॉ. नागेंद्र प्रसाद, डॉ. शेखर चौधरी, डॉ. अजीत कुमार द्विवेदी, डॉ. ज्ञान भास्कर, डॉ. विशाल किशोर, डॉ. अंशुमान सिंह, डॉ. रुचि, डॉ. अभिषेक केडिया, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. कुमार परमानंद, डॉ. चंद्रशेखर, डॉ. विद्या भूषण और डॉ. वसीम राजा आदि ने भाग लिया।
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