गुमला : किसानों ने सीखे उन्नत खेती के गुर, कृषि वैज्ञानिकों ने बताये तकनीक- कृषि विज्ञान केंद्र
गुमला विकास भारती बिशुनपुर के द्वारा संचालित नया निकरा गांव शिवराजपुर घाघरा में
जलवायु परिवर्तन एवं कृषि पर कार्यशाला का आयोजन किया गया.
इस कार्यशाला की अध्यक्षता डॉ. अजय कुमार सिंह (पूर्व कुलपति बीएयू सबौर बिहार एवं भूतपूर्व निदेशक अटारी कोलकाता) ने की.
डॉ. अजय कुमार सिंह कार्यशाला में संबोधित करते हुए कहा कि,
इस जलवायु परिवर्तन के कारण विभिन्न फसलों का जहां उत्पादन में 15 से 25 प्रतिशत तक कमी आई है.
वहीं किसानों के लागत में काफी वृद्धि हुई है. साथ ही साथ गुणवत्ता में भी कमी आई है.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने हेतु इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च ने क्रीडा हैदराबाद के माध्यम से देश के लगभग 150 गांव में निकरा परियोजना को चला रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य है कि जलवायु परिवर्तन के कारकों को कम करते हुए फसल उत्पादन में वृद्धि लाना है.
मोटे अनाज की खेती को दें बढ़ावा
डॉ. अजय कुमार सिंह ने कार्यशाला में किसानों को मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रभेदों एवं तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी दी. डॉ अजय कुमार सिंह निकरा परियोजना अंतर्गत सभी किसानों का मृदा स्वास्थ्य कार्ड एवं मृदा मैप बनाने की सलाह दी. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि किसानों का डाटाबेस तैयार हो. जिससे आने वाले दिनों में इसके प्रभाव कम किया जा सके, और देश के पटल पर रखा जा सके. साथ ही साथ उन्होंने सलाह दी कि बाजार व्यवस्था हो. कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से बाजार उपलब्ध कराया जाए, जिससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा आमदनी प्राप्त होगी.
प्राकृतिक खेती पर दें जोर
इस कार्यशाला में विकास भारती बिशुनपुर के संयुक्त सचिव महेंद्र भगत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन हो रहा है तो किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ आना होगा. केवल प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती के माध्यम से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है. साथ ही साथ प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी हो सकेगी. इस कार्यक्रम में डॉ. अजय कुमार के द्वारा एक ओसाई यंत्र किसानों को प्रदान किया गया. इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया.
रिपोर्ट: रणधीर निधि
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