गया : बिहार के किसान तरबूज की खेती से मालामाल हो रहे हैं। गया शहर के चंदौती के रहने वाले धर्मेंद्र कुमार ने चंदौती बाजार समिति के पीछे तीन एकड़ में तरबूज की खेती कर रहे हैं। इन्होंने जन्नत और सरस्वती वेरायटी का तरबूज लगाया है जो 60-70 दिनों का फसल है। इस प्रजाति के तरबूज की खासियत यह होती है कि प्रति एकड़ 25 टन तक उत्पादन होता है और खाने में अन्य तरबूज की तुलना में अधिक मीठा पन होता है।
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धर्मेंद्र हर चौथे दिन तीन से चार टन तरबूज का उत्पादन कर रहे हैं
दरअसल, धर्मेंद्र हर चौथे दिन तीन से चार टन तरबूज का उत्पादन कर रहे हैं। तरबूज की खेती से हर चौथे दिन धर्मेंद्र 70 हजार रुपए की आय हो रही है। इन्होने अपने खेत में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग लगाया है जिससे कम खर्च में उत्पादन अधिक हो रहा है। प्रति एकड़ लागत की बात करें तो 70-80 हजार रुपए खर्च आती है और बचत लगभग तीन लाख रुपए एकड़ तक हो जाती है। इन्होंने आरा से तरबूज की नर्सरी मंगवाया था और फरवरी माह में अपने खेतों में लगा दिया था। उनके खेतों से हर तीसरे चौथे दिन चार टन तक तरबूज की हार्वेस्टिंग हो रही है।
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इस प्रजाति के तरबूज की डिमांड सबसे अधिक पटना में खुब है
आपको बता दें कि इस प्रजाति के तरबूज की डिमांड सबसे अधिक पटना में खुब है। आम तरबूज की तुलना में इसका रेट भी अधिक है और थोक भाव में 20 रुपए किलों किसान इसे बेच रहे हैं। इनका फल गया के केदारनाथ मार्केट के अलावे नवादा और पटना जिले तक सप्लाई हो रहा है। अलग वैरायटी होने के कारण लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं। किसान धर्मेंद्र बताते हैं कि वह पिछले दो वर्ष से तरबूज की खेती कर रहे हैं। वह उन्नत प्रजाति के तरबूज लगाते है जिससे इन्हें बाजार में ज्यादा कीमत माल जाता है। इन्होने बताया 10 फरवरी तक इसे अपने खेत मे लगा देते है और 50-55 दिन में फल शुरू हो जाता है। प्रति एकड 25 टन तक उत्पादन होता है। इसकी खेती में बीज कंपनी के लोग खूब सहयोग करते हैं। देखरेख से लेकर मार्केटिंग तक की व्यवस्था कंपनी के लोग करते हैं।
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आशीष कुमार की रिपोर्ट