बिहारः कैमूर में इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी के कारण जहां एक ओर आम लोग परेशान है. वहीं धान का बिचड़ा डालने के लिए किसान चिंतित है. अभी तक मानसून की बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी दिखाई दे रही है. आग उगलता आसमान और तपती जमीं पर मोटर का पानी भी काम नहीं कर रहा है. मौसम के साथ साथ विधुत की मार भी झेलने को विवश किसान डीज़ल की महंगाई की मार झेल रहे है. अब तक बिचड़ा नही डलने से खेती प्रभावित होने की संभावना बढ़ रही है.
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रोहिणी नक्षत्र में कुछ किसानों ने धान का बिचड़ा खेतों में गिराया, लेकिन भीषण गर्मी के कारण अब यह बिचड़े भी गर्मी की भेंट चढ़ते दिखाई दे रहे हैं. जबकि अधिकांश किसान आसमान पर टकटकी लगाए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. धान की खेती के हिसाब से किसानों ने 25% बिछड़ा खेतों में गिरा दिया, लेकिन इन बिचड़ा का बचाना मुश्किल नजर आ रहा है. संपन्न किसान खेतों में पटवन कर बिचड़ा को बचाने की पूरी जोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन माध्यम किसान रोजाना आसमान की तरफ देखते हुए भगवान से हाथ जोड़ रहे है.
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कम बारिश से किसान परेशान
कैमूर के किसान अरुण कुमार सिंह भरत राम राम इकबाल पासवान आदि का कहना है कि बारिश में विलंब होने से इस साल धान की खेती पिछड़ने के आसार दिख रहे हैं. जिन किसानों ने रोहिणी नक्षत्र के प्रारंभ में ही धान के बिचड़े गिरा दिए थे. उन किसानों के लिए दोहरी मुसीबत हो गई है. एक तो उनके पास जो धान के बीज थे. उसे खेतों में गिरा दिया है. अंकुरित हो चुके धान वे बिछड़े तेज धूप के कारण झुलसने लगे हैं. ऐसे में किसान धान के उन बिचड़े को बचाने के लिए बोरिंग से सिंचाई करने में जुटे हैं. बारिश कम होने के कारण किसान अभी बिचड़ा नहीं गिरा पाए हैं. प्री मानसून में कम बारिश होने के कारण बिचड़ा कम गिरा है. ऐसे में धान की उपज में असर पड़ सकता है. मानसून आने पर किसानों को राहत मिल सकती है.