पेसा कानून को अंतिम रूप देना क्रांतिकारी कदम, जल्द लागू करे सरकार- बंधु तिर्की

रांचीः पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य और झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखंड सरकार द्वारा पेसा कानून को अंतिम रूप देना वैसा क्रांतिकारी कदम है, जो प्रदेश के जमीनी हालात और यहां के गांवों की तस्वीर बदलने के साथ ही ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान लौटाने में सफल होगा.

करम परब के अवसर पर झारखण्ड वासियों को दिए गए पेसा कानून के उपहार के लिए सकारात्मक, मजबूत एवं निर्णायक कदम उठाने के लिये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए बंधु तिर्की ने कहा कि राजीव गांधी के कारण ही पंचायती राज कानून लागू हुआ था. जिससे ग्रामीणों को उनका अधिकार मिला और पेसा कानून भी कांग्रेस की ही देन है.

उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों और पारम्परिक ग्राम सभाओं के अधिकारों को लेकर विरोधाभास था जिसका आदिवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही 5वी अनुसूची के तहत आनेवाले क्षेत्रों के लिये 1996 में पेसा कानून बनाया था. इसके बाद सभी सम्बंधित राज्यों को इससे सम्बंधित कानून एक साल के अन्दर बनाना था पर भाजपा शासित राज्यों ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की.

बंधु तिर्की ने कहा कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही हमेशा से ग्रामीणों, आदिवासियों, पिछड़े, दलितों, अल्पसंख्यकों आदि के कल्याण के प्रति समर्पित रही है. ऐसा महत्वपूर्ण कदम उठाना केवल कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार के बस की ही बात थी अन्यथा जिस भारतीय जनता पार्टी ने 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड गठन के बाद से अबतक लगभग 23 साल के कार्यकाल में अधिकांश समय तक शासन किया वह आम जन की इस आकांक्षा को जरूर पूरा करती. लेकिन भाजपा मूलतः वैसे तत्वों की पार्टी है जो आम लोगों एवं ग्रामीणों का केवल शोषण करना ही जानती है इसीलिए भाजपा सरकार के शासनकाल में ऐसा कानून बना ही नहीं.

उन्होंने कहा कि पेसा कानून के संदर्भ में सरकार का सबसे महत्वपूर्ण कदम यह रहा कि उसने पिछले 31 अगस्त तक आम जनता एवं संगठनों से आपत्तियां एवं सुझाव की मांग की थी और उसके अनुरूप उसने व्यावहारिक सुझावों को भी इस पेसा कानून में शामिल किया है जो प्रशंसनीय कदम है. बंधु तिर्की ने कहा कि इस कानून में अनेक वैसे प्रावधान हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में अपराध पर नियंत्रण लगेगा साथ ही लोगों में आपसी सहयोग, सामंजस्य एवं सद्भावना की वृद्धि होगी.

बंधु तिर्की के अनुसार इस कानून के कारण वैसे तत्वों के रास्ते में रुकावटे खड़ी होगी जो ग्रामीणों को दिग्भ्रमित कर उनकी जमीन आदि को धोखे से अपने नाम करवा लेते हैं. उन्होंने कहा कि गांव के पारंपरिक प्रधान मानकी, मुण्डा, मांझी, परगना, दिउरी, डोकलो, सोहरो, पड़हा राजा जैसे पारम्परिक प्रधान को अधिकार सौंपना वैसा सही कदम है जिससे झारखण्ड को उसका पुराना स्वाभिमान लौटाने में सहायता मिलेगी. इससे न केवल झारखण्ड में विकास एवं स्वाभिमान को सही स्थान मिलेगा बल्कि पूरे देश में इस प्रदेश की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया यह शक्तिशाली एवं क्रांतिकारी कदम है.

उन्होंने कहा कि पेसा कानून को लागू करवाने की मांग करते हुए उनके साथ ही अनेक लोगों को जेल की प्रताड़ना सहनी पड़ी. झारखण्ड गठन के तत्काल बाद उनके द्वारा पेसा कानून को लागू करने के लिये तीव्र आंदोलन किया गया था और उन्होंने स्वयं प्रत्येक जिले का भ्रमण करते हुए पारम्परिक शासन व्यवस्था को लागू करने के लिये सैकड़ों रैली एवं जनसभाएं की थी. आंदोलन के तहत सेंदरा सगाड़ (रथ) निकाला गया था. जिसकी यात्रा पूरे झारखण्ड में हुई. उन्होंने कहा कि आज 23 साल बाद उनके मन में जो प्रसन्नता है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने यदि पंचायती राज अधिनियम लागू भी किया तो उसमें 5वी अनुसूची की अवहेलना की. बंधु
तिर्की ने कहा कि वैसे तो आईपीसी की कुल 36 धाराओं के तहत अपराध करने वालों पर न्यूनतम 10 रूपये से लेकर अधिकतम 1000 रूपये तक के दण्ड का प्रावधान है और मोटे तौर पर देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जल स्रोतों को प्रदूषित करने, जीव-जंतुओं के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार, अश्लील काम करने, अश्लील गाना बजाने, धार्मिक भावनाओं को भड़काने या उसे ठेस पहुंचाने, दंगा-फसाद, चोरी करने, छल-कपट, जीव जंतु को मारने या विकलांग करने, मानहानि, खोटे बाट का इस्तेमाल, जबरन काम कराने, लोक शांति भंग करने आदि पर दंडित करने का अधिकार ग्राम सभा को होगा. लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सभी तरह के अपराधों पर नियंत्रण लगेगा.

बंधु तिर्की ने कहा कि पेसा कानून की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह भी है इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सही रास्ते पर चलते हुए आय अर्जित करने और असामाजिक गतिविधियों से बचने पर नियंत्रण लगेगा क्योंकि अनेक अपराध के दोषी व्यक्तियों को दंडित करने का उसे अधिकार होगा. लेकिन प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रबंधन के साथ ही गैर इमारती वन प्रबंधन के संदर्भ में निर्णय लेने का पेसा कानून का प्रावधान वस्तुतः क्रांतिकारी कदम है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि माननीय माननीय राज्यपाल महोदय की सकारात्मक सहमति पेसा कानून को प्राप्त होगी जिससे इस कानून को जल्द-से-जल्द जमीनी स्तर पर इसका व्यावहारिक लाभ न केवल आदिवासियों या मूलवासियों बल्कि झारखंड के सभी लोगों को मिलेगा और जमीन की लूट रुकेगी.

रिपोर्टः पल्लवी कुमारी

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