इस्लामाबाद : पहली बार पाकिस्तान के किसी पीएम की कुर्सी अविश्वास मत से गई- पाकिस्तान
तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार द्वारा नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव को
रोकने के कई प्रयासों के बावजूद प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से बाहर होना ही पड़ा.
उनकी सरकार, नेशनल असेंबली में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाई.
342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 174 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया,
जबकि सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सदस्य मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे.
पाकिस्तान के लिए खास दिन है 10 अप्रैल
क्रिकेट के मैदान पर पाकिस्तान को विश्व चैंपियन बनाने वाले
इमरान खान राजनीति के मैदान में क्रिकेट जैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए.
और बीच में ही उनकी पारी का अंत हो गया.
उनकी पारी जिस तारीख को खत्म हुई वह बेहद खास थी.
दरअसल, 10 अप्रैल 1973 को ही पाकिस्तान की संसद ने अपने संविधान को मंजूरी दी थी.
अब 39 साल बाद 10 अप्रैल 2022 को उसी कानून के तहत लाए गए
अविश्वास प्रस्ताव में अपने खिलाफ पड़े ज्यादा वोट की वजह से
इमरान खान को सत्ता गंवानी पड़ी. पहली बार पाकिस्तान के किसी पीएम की कुर्सी अविश्वास मत की वजह से गई है.
मजबूत हो सकता है पाक में लोकतंत्र
दरअसल, पाकिस्तान में हमेशा राजनीतिक संकट बनता रहा है. वहां संवैधानिक प्रक्रिया का पालन कम ही होता दिखा है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई प्रधानमंत्री वहां अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया गया है. यह पूरी तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत किया गया.
सेना का दखल कम
जब पाकिस्तान में राजनीतिक संकट शुरू हुआ तब चर्चा ये भी थी कि अब पाकिस्तान में फिर से सेना की वापसी होगी. इन सबके पीछे सेना का ही हाथ है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ और सेना राजीनित से दूर रही. उसने किसी तरह का दखल नहीं दिया. सबकुछ संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही हुआ. जब अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने और असेंबली भंग होने जैसे गलत फैसले लिए गए तो सुप्रीम कोर्ट ने खुद दखल दिया.
शरीफ की वापसी
चार साल पहले शरीफ चुनाव हार गए थे, लेकिन एक बार फिर सत्ता में वापसी करके उन्होंने दखिया है कि वह अब भी खेल में हैं. इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की शुरुआत शाहबाज शरीफ ने ही की थी. वोटिंग में जीतने के बाद उन्होंने अपने भाई नवाज शरीफ का भी नाम लिया. माना जा रहा है कि इससे नवाज शरीफ की पाकिस्तान में वापसी हो सकती है. अभी वह लंदन में रह रहे हैं.
भारत से बेहतर हो सकते हैं संबंध
शरीफ का आना भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है. दरअसल नवाज शरीफ हमेशा भारत के साथ संबंध सुधारने के पक्षधर रहे हैं, जबकि इमरान खान के बयानों की वजह से दोनों देशों में कोई बातचीत नहीं हो पा रही थी.