Wednesday, July 23, 2025

Related Posts

झारखंड में जल संकट की आहट: पेयजल विभाग के पास O&M के लिए नहीं फंड, 290 करोड़ की सरेंडर राशि वापस मांगी

रांची: झारखंड में करोड़ों की लागत से संचालित पेयजल योजनाओं पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के पास ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस (O&M) कार्यों के लिए आवश्यक फंड तक नहीं बचा है। करीब 3500 करोड़ रुपये के भारी-भरकम बजट वाले विभाग को अब 290 करोड़ रुपये की वह राशि वापस चाहिए, जिसे पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में सरकार को सरेंडर करना पड़ा था।

विभाग के सचिव एम.एस. मीणा ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्य सचिव अलका तिवारी और वित्त सचिव से बातचीत की है। इसके बाद वित्त विभाग को 290 करोड़ रुपये की सरेंडर राशि पुनः आवंटित करने का प्रस्ताव भेजा गया है। विभाग का मानना है कि इस राशि से तत्कालिक संकट से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

एजेंसियों को नहीं मिला छह महीने से भुगतान
राज्य भर में जलापूर्ति योजनाओं का संचालन कर रहीं एजेंसियों को पिछले छह महीने से भुगतान नहीं किया गया है। इससे रांची के रुक्का, हटिया और गोंदा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जलापूर्ति बाधित होने का खतरा गहरा गया है। यही नहीं, धनबाद के सिंगल और क्लस्टर विलेज जलापूर्ति योजनाएं, बलियापुर ग्रामीण योजना, जमशेदपुर की आदित्यपुर शहरी योजना, गिरिडीह के बेंगाबाद और तेनुघाट समेत राज्य की लगभग 15 प्रमुख योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं।

चार साल पहले भी ठप हुई थी रांची की जलापूर्ति
यह पहली बार नहीं है जब जल विभाग आर्थिक संकट से जूझ रहा है। लगभग चार वर्ष पहले भी रांची के रुक्का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में कार्यरत एजेंसी को भुगतान न होने के कारण कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी थी, जिससे राजधानी में जलापूर्ति ठप हो गई थी। तत्कालीन परिस्थिति में विभाग ने फौरी तौर पर कुछ राशि का इंतजाम कर जलापूर्ति बहाल की थी।

बजट पास, पर अब तक नहीं मिला फंड
मार्च 2025 में राज्य का बजट पारित हो गया था, लेकिन जुलाई तक भी पेयजल विभाग को आवंटित राशि नहीं मिली है। इससे विभाग के सामने संचालन की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। अधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द बजट की राशि जारी हो जाती है तो सभी योजनाओं का संचालन सुचारू हो सकता है।

चापाकल मरम्मत के लिए डीएमएफटी का सहारा
चालू वित्तीय वर्ष में हर पंचायत को 10-10 चापाकल आवंटित किए गए हैं। लेकिन इनकी मरम्मत या पूरी तरह खराब हो चुके चापाकलों को बदलने के लिए विभाग अब जिला खनिज न्यास निधि (DMFT) का सहारा ले रहा है।

अगर जल्द वित्तीय संसाधन नहीं मिले तो राज्यभर में जल संकट गहराने की आशंका है। पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को लेकर उठे इस संकट पर राज्य सरकार को तुरंत संज्ञान लेने की आवश्यकता है।


Loading Live TV...

📍 लोकेशन और मौसम लोड हो रहा है...

127,000FansLike
22,000FollowersFollow
587FollowersFollow
562,000SubscribersSubscribe