रांची: झारखंड में नकली दवाओं के बढ़ते कारोबार पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने स्पष्ट किया है कि अब राज्य में जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे दवा माफिया हों या भ्रष्ट अधिकारी।
सरकार ने दवाओं की शुद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य में पेनकिलर, बुखार की दवा, प्लेटलेट बढ़ाने वाली दवाएं, शुगर व थायरॉयड की दवाएं, गर्भनिरोधक व विटामिन सप्लीमेंट्स सहित 300 महत्वपूर्ण दवाएं क्यूआर कोड के बिना नहीं बिक सकेंगी। इस कोड से दवा की असली पहचान, निर्माता का नाम, बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग व एक्सपायरी डेट की जानकारी आसानी से प्राप्त होगी। मंत्री ने इसे नकली और असली दवा के बीच “दीवार” करार दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य के सभी दवा दुकानदारों को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसी दुकान में बिना रजिस्ट्रेशन की दवा पाई गई तो दुकान को तत्काल सील कर दिया जाएगा। साथ ही ड्रग इंस्पेक्टरों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे ईमानदारी से दुकानों की जांच करें और नकली दवा मिलने पर निबंधन निलंबन से लेकर विभागीय कार्रवाई तक करें।
प्रदेश में बनेंगी अत्याधुनिक टेस्टिंग लैब्स
दवाओं की गुणवत्ता की त्वरित और वैज्ञानिक जांच के लिए सरकार दुमका, रांची, जमशेदपुर और पलामू में अत्याधुनिक फूड व मेडिसिन टेस्टिंग लैब्स स्थापित करेगी। अब दवाओं और खाद्य पदार्थों की जांच राज्य में ही संभव होगी जिससे रिपोर्ट में देरी और गड़बड़ी से बचा जा सकेगा।
इन लैब्स में दवाओं की संरचना, शुद्धता, जैविक प्रभाव, विषैले और एलर्जिक तत्वों की पहचान तथा गुणवत्ता की गहन जांच की जा सकेगी।
कफ सिरप बना युवाओं के लिए जहर, बिना डॉक्टर की पर्ची पर बिक्री बंद
मंत्री अंसारी ने बाजार में बिक रहे कई कफ सिरप को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इनमें मौजूद कोडीन और अल्कोहल युवाओं को नशे की ओर धकेल रहे हैं, जिससे ब्रेन और लीवर को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अब बिना वैध डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के इस तरह की कफ सिरप की बिक्री अपराध मानी जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए नकली दवा कारोबार के खिलाफ व्यापक कदम उठाए हैं। अब जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों की भी है कि वे जागरूक रहें और क्यूआर कोड से दवाओं की सत्यता की जांच करना न भूलें।