Wednesday, June 25, 2025

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मंत्री महाशय और ‘मुख्यमंत्री ग्रह’ की गुरुत्वाकर्षण शक्ति

रांची: झारखंड की राजनीतिक आकाशगंगा में एक विचित्र ग्रह है—नाम है ‘मुख्यमंत्री ग्रह’। यह इतना शक्तिशाली है कि जो भी इसकी परिक्रमा में आता है, वहीं का होकर रह जाता है। और हमारे मंत्री महाशय—यानी डॉ. इरफान अंसारी, इस ग्रह के सबसे वफादार उपग्रह बन चुके हैं।

अब मज़े की बात यह है कि मंत्री महाशय कांग्रेस नामक ग्रह से भेजे गए थे, लेकिन उनकी कक्षा झामुमो के मुख्यमंत्री ग्रह के इर्द-गिर्द फिक्स हो चुकी है। वो ऐसे चक्कर काट रहे हैं, जैसे Google Map में रूट फिक्स हो जाए और आप U-turn लेना ही भूल जाएं।

कांग्रेस पार्टी कह रही है—“यह बयान मंत्री महाशय की निजी GPS सेटिंग है, पार्टी इसकी रूट प्लानिंग से सहमत नहीं।”

मगर मंत्री महाशय ने तो “मुख्यमंत्री ग्रह” के समर्थन में सीधा एलान कर दिया है—
“इस राज्य की सत्ता में सिर्फ इसी ग्रह का सूरज चमकेगा, और कोई नहीं!”

कांग्रेस की हालत उस खोये हुए यात्री जैसी हो गई है, जिसने किसी को Uber में बिठाया था, लेकिन वो Ola में बैठकर दूसरी दिशा में निकल गया।

पार्टी के प्रदेश नियंत्रक, यानी अध्यक्ष महोदय, बार-बार मंत्री महाशय को सिग्नल भेजते हैं:
“पार्टी लाइन से बाहर बात मत करो, फोरम में बात करो।”
मगर मंत्री महाशय के पास जवाब तैयार है—
“मैं अल्पसंख्यक वर्ग से हूं, मेरी ऑर्बिट टच मत करो।”

अब झामुमो ग्रह ने तो इस मौके को लपक लिया, जैसे बारिश में छाता कोई और खोले और भीगने से आप बच जाएं।
वो बोले—“मंत्री महाशय ने वही कहा जो अंतरिक्ष की जनता महसूस करती है। मुख्यमंत्री ग्रह तो ब्रह्मांड का केंद्र है!”

इतना ही नहीं, उन्होंने भविष्यवाणी भी कर दी—
“अगले 40 वर्षों तक सत्ता की कक्षा में कोई बदलाव नहीं होगा। सभी सीटें बुक हैं!”

उधर, मंत्री महाशय राज्य की राजधानी नगड़ी की उस ज़मीन पर “सपनों की प्रयोगशाला” यानी रिम्स-2 बनवाने पर अड़े हैं। वैज्ञानिकों ने चेताया कि ज़मीन अस्थिर है, मगर मंत्री बोले—
“ये मुख्यमंत्री ग्रह का अधूरा मिशन है, इसे पूरा करना है। चाहे जमीन खिसके या विपक्ष!”

अब कांग्रेस के कुछ पुराने वैज्ञानिक—जैसे तिरकी दंपत्ति—कह रहे हैं:
“मंत्री महाशय अब सियासी फिजिक्स भूल चुके हैं। ये ‘स्वतंत्र कक्षा’ नहीं, ‘राजनीतिक गिरगिटत्व’ है!”

मगर सवाल वही है:
क्या कांग्रेस कभी अपने इस उपग्रह को वापस ला पाएगी या फिर वह हमेशा के लिए मुख्यमंत्री ग्रह का चक्कर लगाता रहेगा?
क्या मंत्री महाशय सत्ता-सूरज की गर्मी से खुद को राजनीतिक ‘सोलर चार्जर’ बना चुके हैं?

और कांग्रेस… वो इस वक्त अपनी ही बनाई लॉन्चिंग प्रणाली को कोस रही है—
“क्यों बनाया ऐसा सियासी रॉकेट जो लॉन्च होकर विपक्ष की धरती पर लैंड कर गया!”


मंत्री महाशय अब उस राजनीतिक सेटेलाइट में तब्दील हो चुके हैं, जो अपनी मूल एजेंसी के आदेश की परवाह नहीं करता।
उनकी बैटरी मुख्यमंत्री ग्रह की रोशनी से ही चार्ज होती है।
और कांग्रेस… वो अब अपना रिमोट ढूंढ रही है।

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