Hazaribgah : अपनी स्थापना के बाद से जहाँ एनएमएल पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना हज़ारों लोगों की जीविका का साधन बनी है और अपने सामुदायिक विकास गतिविधियों के माध्यम से लाखों लोगों की ज़िंदगियाँ बदल रही है, वहीं इस परियोजना के द्वारा पर्यावरण संरक्षण, संवर्द्धन और सतत् विकास के लिए बेशक़ीमती योगदान दिया जा रहा है। आइए आज हम आपको NTPC लिमिटेड की एक पूर्ण सहायक कम्पनी एनएमएल पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना के पर्यावरण संरक्षण के बारे में विस्तार से बताते हैं
पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता
एनएमएल पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक श्रृंखला के माध्यम से प्रदर्शित किया है। कंपनी नियम कानूनों का पालन करते हुए हैं पारिस्थितिकीय मानकों की उच्चतम मानक सुनिश्चित कर रही है।
Hazaribgah : वायु गुणवत्ता प्रबंधन
वायु गुणवत्ता प्रबंधन और धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास में, 10 KL से 80 KL तक की क्षमता वाले 30 से अधिक मोबाइल पानी के टैंकर तैनात किए गए हैं जिससे धूल प्रदूषण को नियंत्रित किया जा रहा है। महत्वपूर्ण स्थानों जैसे क्रशर और कोयला हैंडलिंग प्लांट्स पर फिक्स्ड पानी की स्प्रिंकलर और मिस्ट स्प्रेयर भी लगाए गए हैं जिससे वायु प्रदूषण कम हो । विशेष रूप से, 80 KL पानी का टैंकर भारत में धूल प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए बने सबसे बड़ी टैंकर है और धूल उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, कोयला परिवहन कर रही ट्रकों से प्रदूषण कम हो इसके लिए परिवहन के दौरान ट्रकों को तिरपाल से ढक दिया जाता है।
हरित पहल और वृक्षारोपण
परियोजना द्वारा पर्यावरणीय पहलों के तहत 5 लाख 20 हज़ार से अधिक पेड़ लगाए गए हैं, और कम क्षेत्र में घनी वनस्पति विकसित करने के लिए मियावाकी विधि का उपयोग कर पेड़ लगाए गए है। परियोजना द्वारा खदान के समीप नर्सरी भी स्थापित की गई है जहां 2 लाख से अधिक पौधे तैयार किए हैं। NTPC विभिन्न पर्यावरणीय जागरूकता कार्यक्रम, जैसे नुक्कड़ नाटक और प्रतियोगिताएं आयोजित करता है, ताकि स्थानीय समुदायों पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बन सके। परियोजना द्वारा वन महोत्सव, वृक्ष रक्षा बंधन जैसे अनेकों कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभायी जाती है जो परियोजना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वृहद वृक्षारोपण जैसे पहलों से लगभग 1,13,000 किलोग्राम CO2 उत्सर्जन में कमी आई है।
वायु गुणवत्ता निगरानी
वायु गुणवत्ता को कई स्थानों पर मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के माध्यम से सख्ती से निगरानी की जाती है, और साइट ऑफिस पर एक सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली स्थापित किया गया है ताकि पर्यावरणीय मानकों के साथ अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
अपशिष्ट जल प्रबंधन
अपशिष्ट जल प्रबंधन एक और प्रमुख क्षेत्र है। पकरी बरवाडीह ने 200 KLD एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और R&R कॉलोनी में 1.5 MLD सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है, जो अपशिष्ट जल का उपचार करता है, जिसे फिर खनन ऑपरेशनों, वृक्षारोपण गतिविधियों और घरेलू उपयोग के लिए पुनः उपयोग में लाया जाता है। MBBR तकनीक का उपयोग करने वाले अतिरिक्त सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, जिसमें साइट ऑफिस पर 20 KLD और MDO कॉलोनी में 300 KLD शामिल हैं, अपशिष्ट जल उपचार को और बढ़ाते हैं। उपचारित पानी को बागवानी के लिए उपयोग किया जाता है और बाहरी वातावरण में कोई उत्सर्जन नहीं होता है।
जल संरक्षण प्रयास
अपशिष्ट जल प्रबंधन के अलावा परियोजना द्वारा जल संरक्षण प्रयासों में गांव के तालाबों को गाद मुक्त और नए तालाबों का निर्माण शामिल है। विभिन्न कार्यालय परिसर के छतों के पानी को पुनः संकलित करने की प्रणाली से लगभग 1,48,796 क्यूबिक मीटर/वर्ष की जल पुनः चार्जिंग होती है। इसके अतिरिक्त, पूर्वी खदान में लगभग 23 लाख क्यूबिक मीटर वर्षा के पानी का संचयन किया जाता है जिसका उपयोग धूल नियंत्रण और अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है। पकवा और खोर्रा नाला में निर्मित बारह चेक डैम्स की संयुक्त संग्रहण क्षमता 16.18 लाख क्यूबिक मीटर है और इन चेक डैम्स के माध्यम से लगभग 34.05 लाख क्यूबिक मीटर/वर्ष का जल पुनर्भरण होता है।
संवर्धन और अवसंरचना में निवेश
NTPC के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को राज्य सरकार की स्थानीय वनस्पति और जीवों के संरक्षण में सहायता करने के लिए 125.673 करोड़ रुपये के निवेश द्वारा भी समझा जा सकता है। कंपनी ने पकरी बरवाड़ीह साइट के चारों ओर पर्यावरण संरक्षण पहलों पर 80 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। इन प्रयासों के अलावा पकरी बरवाडीह द्वारा 20 फ़ीट ऊँचा एशिया का सबसे बड़ा कोल कन्वेयर बेल्ट भी बनाया गया है जो वन्यजीवों के आवागमन को बिना बाधित किए अपने कार्य को सामान्य रूप से कर रही है। इन व्यापक प्रयासों के माध्यम से, एनएमएल पकरी बरवाड़ीह कोयला खनन परियोजना पर्यावरणीय संरक्षण और सतत विकास में एक आदर्श उदाहरण पेश करता है।