Desk. किसान आंदोलन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्यों और किसानों के बीच “गहरे विश्वास की कमी” को रेखांकित किया और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर एक स्वतंत्र समिति के गठन का प्रस्ताव रखा।
किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और हरियाणा और पंजाब राज्यों को समिति के लिए नाम सुझाने का निर्देश दिया है, जबकि अंबाला के पास शंभू सीमा पर एक सप्ताह के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं और सीमा सील कर दी गई है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कई गंभीर टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने कहा, ‘आपको (सरकार) किसानों तक पहुंचने के लिए कुछ पहल करनी होगी। आप यहां से मंत्री भेज रहे हैं और उन्हें आप में विश्वास की कमी है। वे सोचेंगे कि आप केवल अपने स्वार्थों के बारे में सोच रहे हैं और स्थानीय मुद्दों की अनदेखी कर रहे हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 7 मार्च के फैसले को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने फरवरी में प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प के दौरान किसान शुभकरण सिंह की मौत की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। पिछले हफ्ते, हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा HC के 10 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए एक और याचिका दायर की थी, जिसमें सात दिनों के भीतर राजमार्ग खोलने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद इस मामले की दोबारा शीर्ष कोर्ट में सुनवाई होगी।