Desk. NEET पेपर लीक मामले की कई याचिकाओं पर आज भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेडिकल परीक्षा दोबारा आयोजित तभी होनी चाहिए, जब इसका ठोस आधार हो कि (NEET) पूरी परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है।
पीठ ने कहा कि परीक्षा के “सामाजिक प्रभाव” हैं। साथ ही याचिकाकर्ताओं से यह साबित करने को कहा कि एनईईटी-यूजी परीक्षा में पेपर लीक व्यवस्थित था और इसने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित किया, जिससे मेडिकल प्रवेश परीक्षा रद्द कर दी जाए। सीजेआई ने कहा, “पुनः परीक्षा ठोस आधार पर होनी चाहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है।” पीठ ने कहा कि पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई कर रही है।
NEET पेपर लीक मामले पर याचिकाकर्ता के वकील का दलील
वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्रश्न पत्रों के परिवहन में समझौता हुआ था, जब पेपर छह दिनों के लिए एक निजी कूरियर कंपनी के हाथों में थे। हजारीबाग में ई-रिक्शा से इसे ले जाया जा रहा था। ड्राइवर इसे बैंक ले जाने के बजाय ओएसिस स्कूल ले गया, जहां स्कूल प्रिंसिपल को यह ट्रंक मिला। वकील ने अदालत को बताया कि लीक हुए पेपर प्रवेश परीक्षा से दो दिन पहले 3 मई से ही प्रचलन में थे। उन्होंने कहा कि टेलीग्राम वीडियो के साक्ष्य से पता चलता है कि हल किए गए पेपर 4 मई को प्रसारित किए जा रहे थे।
NEET पेपर लीक पर केंद्र और एनटीए ने बताया
वहीं केंद्र सरकार और एनटीए ने अदालत को बताया है कि पेपर लीक स्थानीय था और बड़े पैमाने पर गोपनीयता के उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में परीक्षा को रद्द करने से लाखों ईमानदार उम्मीदवार “गंभीर रूप से खतरे में” पड़ जाएंगे। पेपर लीक कांड सामने आने के बाद केंद्र ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था। इस मामले में बिहार और झारखंड में एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।