रांची: आर्थिक तंगी से पीड़ित होने वाले धुर्वा स्थित एचइसी के कर्मचारियों ने अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से वेतनमान की मांग करनी शुरू की है। पिछले 16 महीनों से वेतन भुगतान की उम्मीद में बैठे हुए कर्मचारी उनसे गुहार लगा रहे हैं, ताकि उनकी आर्थिक समस्याएं दूर हो सकें। कर्मचारियों ने बताया है कि एचइसी भारत सरकार का एक पहल है, लेकिन पिछले दो सालों से इसका भविष्य अनिश्चित हो गया है। इस एशिया के सबसे बड़े उद्योग कंपनी को बचाने के लिए कर्मचारियों को वेतन देने के लिए सहयोग देना चाहिए।

एचइसी कंपनी आर्थिक संकट का सामना कर रही है, और यह करीब 3000 कर्मचारियों को पिछले 16 महीनों से वेतन नहीं दे पा रही है। इस वजह से पिछले 6 महीनों से कर्मचारियों के साथ ही अधिकारी भी शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं और पैसों की मांग कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, बच्चों की पढ़ाई, इलाज और अन्य समस्याएं विकटता में हैं। यदि केंद्र सरकार सहयोग नहीं करती है, तो कंपनी स्वयं ही बंद हो जाएगी। इस कंपनी के कर्मचारियों को वेतन देने के साथ-साथ एचइसी के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भी मदद की मांग की है। उनका कहना है कि कंपनी का कोर कैपिटल समाप्त हो रहा है और हर महीने वेतन आदि के लिए सात करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो रहे हैं, लेकिन यह राशि कंपनी एकत्र नहीं कर पा रही है।
कोर कैपिटल की कमी के कारण, उत्पादन की ग्राफ बिल्कुल गिर गई है। कंपनी ने 2020 में कोरोनावायरस के कारण उत्पादन लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकी थी और 2021 के दूसरे तिमाही में उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया है। वर्तमान में कंपनी कुछ महत्वपूर्ण काम कर रही थी, लेकिन यह काम अब बंद हो गया है। साथ ही, कंपनी में स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों की संख्या करीब 3100 है। वर्तमान परिस्थितियों में, कंपनी के भविष्य पर गंभीर सवाल उठेंगे आने वाले दो-चार महीनों में।