जेल से चुनाव लड़ेंगे हेमंत सोरेन ? इस लोकसभा सीट के लिए चर्चा तेज

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आज सीट स्कैनर में हम झारखंड की उपराजधानी दुमका की बात करेंगे.

दुमका लोकसभा में इस बार चुनाव काफी दिलचस्प हो सकता है. झारखंड की राजनीति में दुमका लोकसभा का बड़ा महत्व है. इस सीट से दो पूर्व मुख्यमंत्री सांसद रह चुके हैं. यहां से शिबू सोरेन 8 बार सांसद रहे और भाजपा से 2 बार बाबूलाल मरांडी यहां से जीतकर दिल्ली पहुंचे.

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए दुमका से भाजपा ने मौजूदा सांसद सुनील सोरेन को मैदान में उतारा है वहीं महागठबंधन इस सीट से झामुमो पार्टी का उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है.

दुमका लोकसभा वैसे झामुमो का गढ़ माना जाता है. बीते कई सालों से यहां सोरेन परिवार का दबदबा है . हालांकि 2019 के चुनाव में भाजपा के सुनील सोरेन ने यहां से शिबू सोरेन को हार का स्वाद चखाया था.

अब तक इस सीट पर झामुमो ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. लेकिन इस बार भी माना जा रहा है कि इस सीट पर सुनील सोरेन को सोरेन परिवार का कोई सदस्य ही टक्कर देगा.

झामुमो से दुमका के लिए संभावित उम्मीदवारों की बात करें तो, दुमका के राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल के अंदर से ही दुमका लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं , इसके साथ ही दुमका से पूर्व सांसद शिबू सोरेन, और सोरेन परिवार की बड़ी बहु सीता सोरेन का भी नाम सामने आ रहा है. दुमका लोकसभा से संभावित उम्मीदवार के नाम में सोरेन परिवार से इतर बात करें तो दुमका सीट पर महेशपुर विधायक स्टीफन मरांडी और शिकारीपारा विधायक नलिन सोरेन भी उम्मीदवार हो सकते हैं.

लेकिन टिकट किसे मिलेगा इस पर आखिरी फैसला आलाकमान का होगा.

हेमंत सोरेन के चुनावी मैदान में उतरने पर झामुमो के एक पक्ष का मानना है कि लोकसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के पक्ष में सहानुभूति की लहर हो सकती है. खासकर आदिवासी समाज से एकजुट समर्थन की आस है.

शिबू सोरेन की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों के कारण चुनाव में उतरने की संभावना नहीं जताई जा रही है. वहीं इस सीट पर उनकी बड़ी बहु और जामा विधायक सीता सोरेन की उम्मीदवारी हो सकती है , चंपाई कैबिनेट में सीता सोरेन को जगह नहीं मिल पाई थी इसलिए सीता सोरेन को लोकसभा में मौका मिल सकता है इसकी प्रबल संभावना है.

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दुमका की राजनीतिक स्थिति की बात करें तो दुमका लोकसभा एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं. दुमका लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा की सीटे हैं. शिकारीपारा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा , सारठ . जिसमें से 5 सीटें महागठबंधन के पास है वहीं 1 सीट सारठ भाजपा के पास है और रणधीर कुमार सिंह यहां से विधायक हैं. शिकारीपारा से नलिन सोरेन झामुमो विधायक हैं. नाला से रवींद्र नाथ महतो, झारखंड विधानसभा अध्यक्ष झामुमो से विधायक हैं. जामताड़ा से कांग्रेस से इरफान अंसारी विधायक हैं. वहीं दुमका में भी झामुमो का कब्जा है और बसंत सोरेन यहां से विधायक हैं.और जामा से सीता सोरेन झामुमो से विधायक हैं.

दुमका लोकसभा के इतिहास की बात करें तो , दुमका में 5 बार कांग्रेस, और झामुमो ने 7 बार जीत दर्ज की है और 8 बार शिबू सोरेन ही यहां से सांसद बने. भाजपा ने अब तक दुमका में 3 बार कमल खिलाया है.

दुमका लोकसभा सीट पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव यानी 1952 और 1957 में अनारक्षित थी. तीसरे चुनाव यानी 1962 में यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित की गई.

साल 1952 में कांग्रेस के पॉल जुझार सोरेन दुमका के पहले सांसद बने.

दूसरे चुनाव में ही यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई और 1957 में यहां से जनता पार्टी के सुरेश चंद्र चौधरी ने जीत दर्ज की.

इसके बाद दुमका में कांग्रेस ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की. 1962,1967 और1971 के चुनाव में कांग्रेस के सत्य चंद्र बेसरा यहां से सांसद बने.

1977 में यहां से एक बार और जनता पार्टी ने जीत हासिल की और बटेश्वर हेम्ब्रम सांसद बने.

1973 में शिबू सोरेन संथाल परगना में सक्रिय हुए और महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी. शिबू सोरेन के आंदोलन चलाने का व्यापक असर संथाल परगना पर पड़ा.

1980 में शिबू सोरेन ने यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की.

लेकिन 1984 के चुनाव में शिबू सोरेन के हाथ से यह सीट निकल गई. और कांग्रेस के पृथ्वी चंद किस्कू ने जीत हासिल की.

जिसके बाद अगले तीन चुनाव में शिबू सोरेन ने जीत की हैट्रिक लगाई और 1989,1991 और1996 में झामुमो के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता.

वहीं साल 1998 में भाजपा ने दुमका में खाता खोला और बाबूलाल मरांडी यहां से सांसद बने. 1999 में भी भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की.

फिर साल 2002,2004,2009,2014 में झामुमो ने यहां से लगातार 4 बार जीत दर्ज की और शिबू सोरेन 4 बार सांसद बने.

लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झामुमो के विजय रथ को रोक दिया और भाजपा के सुनील सोरेन यहां से सांसद बने.

2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सुनील सोरेन पर भरोसा जताया है. अब सबकी निगाहें महागठबंधन के उम्मीदवार पर टिकी है.

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झामुमो जब अपने प्रत्याशी की घोषणा करेगी तब ही पता चलेगा कि दुमका में सुनील सोरेन का मुकाबला किसके साथ होगा.

 

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