सिंहभूम में गीता कोड़ा को टक्कर देंगे ये दिग्गज नेता, अब किसे चुनेगी जनता ?

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आज हम झारखंड की 14 में से 1 लोकसभा सीट सिंहभूम लोकसभा सीट को स्कैन करेंगे. सिंहभूम लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं यानी यह सीट एसटी रिजर्व है. सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में हो जनजाति के वोटरों की संख्या सबसे अधिक है. आंकड़ों के अनुसार यहां 58.72 प्रतिशत अनुसूचित हो जनजाति के लोग हैं. सिंहभूम के किसी भी चुनाव में हो वोट सबसे अधिक मायने रखते हैं.

इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियां इस सीट से हो जनजाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारना चाहती है.
भाजपा ने सिंहभूम सीट पर हाल में कांग्रेस से बीजेपी में गयीं मौजूदा सांसद गीता कोड़ा को टिकट दिया है. बता दें गीता कोड़ा ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट से लड़ा था और जीत कर सिंहभूम की पहली महिला सांसद बनी थी. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गीता कोड़ा ने भाजपा का दामन थाम लिया है और भाजपा ने गीता कोड़ा को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

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गीता कोड़ा से पहले भाजपा के लिए लोकसभा के उम्मीदवार पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुआ थे, 2021 में लक्ष्मण गिलुआ के निधन के बाद सिंहभूम में भाजपा का कोई भी मजबूत हो दावेदार नहीं बचा था. 2024 के चुनाव के लिए भाजपा को सिंहभूम में किसी मजबूत हो चेहरे की तलाश थी. अब गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद भाजपा ने एक बार में ही गीता कोड़ा को टिकट दे दिया है. हालांकि अब गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने से भाजपा को कितना फायदा होगा ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा.

लेकिन अब सिंहभूम में महागठबंधन के उम्मीदवारों की लॉबिंग तेज हो गई है. 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से इस सीट पर झामुमो अपने उम्मीदवार उतारने वाली है. लेकिन उम्मीदवार कौन होगा इस पर अभी संशय बरकरार है.

झामुमो की तरफ से कई कद्दावर नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं जो टिकट की रेस में शामिल हैं.
झामुमो की तरफ से सिंहभूम लोकसभा सीट से चाईबासा के विधायक सह मंत्री दीपक बिरुवा, मनोहरपुर विधायक सह पूर्व मंत्री जोबा माझी,चक्रधरपुर के विधायक सह झामुमो के जिलाध्यक्ष सुखराम उराँव और खरसावां के विधायक और झामुमो के कद्दावर नेता दशरथ गगराई का नाम शामिल है.

हालांकि झामुमो की तरफ से इस सीट के लिए दीपक बिरुआ और दशरथ गगराई को मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है. दीपक बिरुआ अभी कैबिनेट में मंत्री हैं ऐसे में उनके चुनाव लड़ने की संभावना कम मानी जा रही है. लेकिन विधायक दशरथ गगराई भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. दशरथ गगराई ने 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अर्जुन मुंडा को मात दी थी.

अब गीता कोड़ा का मुकाबला किसके साथ होगा ये झामुमो के उम्मीदवर की घोषणा के बाद ही पता चल पाएगा.
सिंहभूम की वर्तमान राजनीतिक स्थिति की बात करें तो

सिंहभूम लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा की सीटें आती हैं. इसमें सरायकेल, चाईबासा,मझगांव, जगन्नाथपुर,मनोहरपुर, और चक्रधरपुर है. ये सभी सीटें इंडिया गठबंधन के पास है.

जिसमें 5 सीटों पर झामुमो का कब्जा है और सिर्फ एक सीट जगन्नाथपुर में कांग्रेस ने बाजी मारी है और सोना राम सिंकु यहां से विधायक हैं.

वहीं सरायकेला सीट से राज्य के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन विधायक हैं. चाईबासा से मंत्री दीपक बिरुआ, मझगांव में निरल पूर्ति, मनोहरपुर से पूर्व मंत्री जोबा मांझी, चक्रधरपुर से विधायक सुखराम उरांव हैं.

अब सिंहभूम लोकसभा सीट की इतिहास पर एक नजर डालते हैं.

सिंहभूम लोकसभा सीट पर शुरुआत में झारखंड पार्टी का बोलबाला रहा. झारखंड पार्टी ने लगातार 4 बार यहां से जीत हासिल की. जिसके बाद सिंहभूम में कांग्रेस का दबदबा रहा है. अब तक कांग्रेस ने सिंहभूम सीट पर 7 बार जीत दर्ज की है. वहीं भाजपा ने यहां से 3 बार कमल खिलाया है. वहीं इस सीट पर एक बार झामुमो और एक बार निर्दलीय ने कब्जा किया है.

1957 में सिंहभूम लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए और झारखंड पार्टी के शंभू चरण गोडसोरा पहले सांसद बने.
इसके बाद झारखंड पार्टी ने लगतार तीन बार जीत दर्ज की.

1962 में हरिचरण सोय, 1967 में कोलाई बिरुआ और 1971 में मोरन सिंह पूर्ति यहां से सांसद बने.

झारखंड पार्टी के बाद सिंहभूम में कांग्रेस ने अपना परचम लहराया. और लगातार 4 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1977 से 1989 तक सिंहभूम लोकसभा सीट पर बागुन सुम्ब्रुई ने लगातार जीत हासिल की और सांसद बने.

1991 में कांग्रेस की जीत का सिलसिला टूटा और झामुमो से कृष्णा मरांडी सांसद बने.

1996 में सिंहभूम सीट पर भाजपा की पहली जीत हुई. भाजपा से चित्रसेन सिंकु ने सिंहभूम सीट पर कब्जा किया.
साल 1998 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और विजय सिंह सोय ने इस सीट पर जीत दर्ज की.

वहीं 1999 में भाजपा के लक्ष्मण गिलुआ यहां से सांसद बने.

साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर अपना परचम लहराया और बागुन सुम्ब्रुई ने यहां वापसी की.
2009 में मधु कोड़ा ने सिंहभूम से स्वतंत्र चुनाव लड़ा और जीता.

2014 में भाजपा ने एक बार और वापसी की और लक्ष्मण गिलुआ ने जीत हासिल की.

2019 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस ने गीता कोड़ा को मैदान में उतारा और गीता कोड़ा ने यहां से जीत हासिल की.

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अब 2024 के लोकसभा चुनाव में सिंहभूम लोकसभा सीट का समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है. भाजपा ने कोल्हान में अपनी एंट्री के लिए गीता कोड़ा को अपना उम्मीदवार चुना है. अब देखना होगा कि सिंहभूम की जनता गीता कोड़ा के चेहरे पर भाजपा का बटन दबाती है या फिर से यह सीट महागठबंधन की झोली में जाती है.

 

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