Ranchi- विधान सभा के अंतिम दिन सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जल्द ही झारखंड में पुराना पेंशन लागू करने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री की इस घोषणा को एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है.
रॉयलिटी की भुगतान नहीं हुआ तो बंद होगा उसकी ढुलाई
कोल कंपनियों से बकाए के 136 करोड़ की मांग करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि इस पैसे को हम छीन कर ही रहेंगे. पैसे का भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में कोयले और अन्य खनिज संपदाओं की ढुलाई रोक दी जाएगी.
विपक्ष पर प्रहार करते हुए कहा कि हेमंत ने कहा कि विपक्ष सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों को उकसाने का काम कर रही है, लेकिन ये लोग भूल जाते हैं कि सरकार से कोई भी काम जबरदस्ती नहीं करवाया जा सकता.
सही वक्त पर सही फैसला लेंगे, सभी की भावनाओं का रखा जाएगा ख्याल
नियुक्ति वर्ष को लेकर मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से सफाई देते हुए कहा कि हम जल्दबाजी में कोई काम नहीं करेंगे,
इसमें गलती होने की संभावना रहती है. हम विपक्ष की तरह गलती करने वाले नहीं है,
इन्ही लोगों ने 13 जिला और 11 जिला का नियमावली बनाकर परीक्षाओं का आयोजन करवा था,
लेकिन मिला क्या, आज पूरी नियुक्ति प्रक्रिया कोर्ट में है.
विपक्ष सिर्फ इतना बताये कि सरना धर्म कोड का क्या हुआ,
हमने ने अनुशंसा कर भेज दिया है, निर्णय तो अब उनको लेना है.
हम जो करेंगे सोच समक्ष कर ही करेंगे,
हमें तो जीना यहीं और मरना यहीं है,
बाकी लोग तो यूपी बिहार चले जाएंगे.
झारखंड झारखंडियों की भावना के अनुरुप ही चलेगा.
1985 का आधार बनाने वाले आज 1932 की बात कर रहें है
स्थानीयता के सवाल पर विपक्ष को घेरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि
जब इनके द्वारा स्थानीयता का आधार 1985 बनाया गया था तब इसे एतिहासिक उपलब्धि बताया गया था,
लेकिन आज ये 1932 की बात कर रहें है.
विधि व्यवस्था की बात हो या नक्सलियों के सरेंडर करने की सरकार एक-एक सवाल पर जवाब देने को तैयार बैठी है.
हम राज्य को आग में नहीं झोंक सकते
1932 के खतियान को आधार बना चलाये जा रहे आन्दोलन और उस आन्दोलन में विपक्ष की सहभागिता पर विफरते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि दो दिनों से हाउस के भीतर और बाहर मुझे नाजाएज औलाद बताया जा रहा है,
कई लोग टी शर्ट पर 1932 का खतियान लिखवाकर घूम रहे हैं.
लेकिन भूलिए मत कि हमने भी लोगों की भावना को करीब से महसूस किया है,
कई आन्दोलन भी देखे हैं. मुझे भी इससे प्रेरणा मिलती है. य
ही कारण है कि राज्य की जनता ने हमें बहुमत दिया है,
लेकिन हम झारखंड को आग में झोंक नहीं सकते.
न्यायपालिका और कार्यपालिका में नहीं है मूलवासियों का प्रतिनिधित्व
यह एक सच्चाई है कि हम सामाजिक और बौद्धिक रूप से पिछड़े हैं,
न्यायपालिका में हमारी भागीदारी नहीं है और कार्यपालिका में भी हम नगण्य है,
लेकिन यह बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के द्वारा लिखे गए संविधान की देन है कि हम आज यहां बैठे है.
1932 के खतियान के प्रति हमारा पूर्ण सम्मान है,
लेकिन राज्य का जो भी कानून बनेगा उसमें सभी की भावनाओं का ख्याल रखा जाएगा.
इस राज्य में 2005, 1918,1993 में 1964 में भी सर्वे हुआ है,
हम किसको पकड़े और किसको छोड़े यह सदन हमें बताये.
इस राज्य के लिए हम मरने के लिए तैयार है, लेकिन हम किसी को मरने के लिए छोड़ दें यह इतना आसान नहीं है.
हमें इस पर भी चिंतन करने की जरुरत है. सारी बातों का समन्वय बनाते हुए विभिन्न सर्वे का अध्ययन लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए हम आगे बढ़ेंगे.
आग लगाने का मास्टर है विपक्ष
भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष आग लगाने में मास्टर है.
कुछ लोग हमारे लोगों को बहका कर उकसाने का काम रहें है.
राज्य के बने 21 वर्ष हो गए. लेकिन हमें अभी और लंबी दूरी तय करना होगा और सही रास्ता की तलाश करनी होगी.
लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार लाना होगा. धनसंग्रह भी करना है ताकि राज्य का विकास अवरुद्ध न हो.
चारो ओर फैली है विषमता, इसे पाटना हमारी जिम्मेवारी
आज भी हमारे समाज में समानता नहीं है, चारों तरफ विषमता है, हमें इसे दूर करना होगा.
सरकार के उपर सभी चिजों को लेकर बैलेंस करनी की जिम्मेवारी होती है. हम इसका निर्वाह कर रहे हैं.
आदिवासी-मूलवासियों को हमसे उम्मीदे है
निश्चित रुप से हमें ज्यादा सवाल पूछा जाता है, उसका कारण भी स्पष्ट है, क्योंकि इस राज्य के आदिवासी और मूलवासियों को हमारी सरकार से ही उम्मीद है, इसमें कई लोग खुश होते हैं तो कई लोग नाराज.
इन अनसुलक्षे सवालों का जवाब ढूंढने में हम सभी लगे हुए है. हमारी कोशिश राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की है.
अनुबंध कर्मियों पर लाठी बरसाने वाले आज सवाल उठा रहे हैं
अनुबंध कर्मी पर लाठी बरसाने वाले आज उनको हक दिलाने की बात कर रहे हैं.
उन्हे किसी भी कीमत पर सत्ता पाने की चिंता खाये जा रही है. यही कारण है कि आज घड़ियाली आंसू बहा कर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहें है.
लेकिन उनका दुर्भाग्य है कि आज लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग हो रहे है.
कम से कम मतदान के सवाल पर लोगों में जागरुकता बढ़ी है. हम भी विपक्ष की राह पर चलें तो राज्य के नौजवान सड़क पर भीख मांगते नजर आते.