रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में हिनू गांधीनगर न्यू एरिया निवासी लीलावती देवी की उस याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने घर के सामने बने सेप्टिक टैंक को हटाने की मांग की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए प्रार्थी पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
यह जुर्माना संभवत: हाईकोर्ट द्वारा किसी प्रार्थी पर लगाया गया अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना है। अदालत ने साफ कहा कि यदि प्रार्थी निर्धारित तिथि तक जुर्माना राशि जमा नहीं करती हैं, तो हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल उक्त राशि की वसूली के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
क्या है मामला?
लीलावती देवी ने याचिका दायर कर कहा था कि कुछ लोगों ने उनके घर के सामने की सड़क पर सेप्टिक टैंक बना दिया है, जिससे उन्हें आवागमन में कठिनाई हो रही है। उन्होंने पहले इस संबंध में एसडीएम के समक्ष आवेदन दिया था। एसडीएम कोर्ट ने सुनवाई के बाद स्थल पर धारा 144 लागू कर दी और रांची नगर निगम को निरीक्षण करने का निर्देश दिया।
नगर निगम ने निरीक्षण कर रिपोर्ट दी कि सेप्टिक टैंक को तोड़ा जाना चाहिए, और एसडीएम कोर्ट ने भी टैंक तोड़ने का निर्देश दिया। बावजूद इसके नगर निगम ने कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने कहा कि जब मामला सक्षम प्राधिकरण के समक्ष लंबित था और निर्णय भी लिया जा चुका था, तो इसके बावजूद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और 25 लाख रुपये का दंड लगाया।
प्रार्थी के वकील की दलील और अदालत की प्रतिक्रिया
प्रार्थी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि नगर निगम को कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन अदालत ने इसे अपर्याप्त मानते हुए जुर्माना लगाने का निर्देश दिया और कहा कि प्रार्थी को पहले नगर निगम में ही प्रभावी कार्रवाई के लिए अनुरोध करना चाहिए था।
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