रांची: झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) के तहत पढ़ाई हो रही है, लेकिन शिक्षकों और प्रशासनिक अधिकारियों की भारी कमी से उच्च शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। राज्य के चार विश्वविद्यालयों में कुलपतियों (VC) का पद दो वर्षों से अधिक समय से रिक्त पड़ा है, जबकि 80% सरकारी (अंगीभूत) कॉलेजों में प्रिंसिपल नहीं हैं।
शिक्षकों की स्थिति भी चिंताजनक है, क्योंकि 40% पद खाली हैं, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। वहीं, शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति पिछले तीन दशकों से नहीं हुई है, जिससे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का प्रशासनिक कार्य ठप पड़ा है। सितंबर 2022 में चार विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई थी। आवेदन आमंत्रित करने के 10 महीने बाद आवेदकों का इंटरव्यू हुआ, लेकिन राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश पर विज्ञापन रद्द कर दिया गया। बाद में फिर से प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन अब तक केवल विनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति हुई है, जबकि अन्य तीन विश्वविद्यालय अब भी कुलपति नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वरिष्ठ शिक्षकों का कहना है कि जब तक रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति नहीं होती, तब तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करना मुश्किल होगा। शिक्षकों और प्रशासनिक पदों की कमी के कारण विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक व प्रशासनिक कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
अब यह देखना होगा कि सरकार और उच्च शिक्षा विभाग इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कब ठोस कदम उठाते हैं।