डिजिटल डेस्क : हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 गगन गिल को जिन्होंने रचा-शोक में लड़की प्रेम करती है…। इस साल के साहित्य अकादमी पुरस्कार यानी साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 की घोषणा कर दी गई है। विजेताओं के नामों का ऐलान कर दिया गया है। हिंदी के लिए गगन गिल को साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है।
गगन गिल को उनके काव्य ग्रंथ ‘मैं जब तक आई बाहर’ के लिए चुना गया जिसकी कई पंक्तियां मौजूदा हिंदी साहित्य जगत में खासी चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। इन्हीं में से एक है – शोक में लड़की प्रेम करती है…।
अंग्रेजी में एमए करने के बाद पत्रकारिता से शुरू हुआ गगन गिल करियर…
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 की विजेता घोषित हुई गगन गिल के बारे में हिंदी साहित्य जगत से जुड़े लोगों ने गुरूवार की सुबह से ही चर्चा जारी है। गगन गिल का जन्म 1959 में दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजी में एमए किया है और उनकी कविताएं अमेरिका-इंग्लैंड समेत कई और देशों के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पढ़ाई पूरी करने के बाद गगन गिल ने बतौर पत्रकार अपना करियर शुरू किया था। उसके बाद वह साहित्य के क्षेत्र में चली गई और लेखन करना शुरू किया। गगन गिल को हिंदी में अपने साहित्यिक योगदान के लिए भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार और संस्कृति पुरस्कार मिल चुका है।
हिंदी साहित्य जगत में चर्चा का केंद्र बनी गगन गिल की काव्य रचना पढ़ें…
प्रेम में लड़की शोक करती है, शोक में लड़की प्रेम करती है
प्रेम में लड़की नाम रखती है, नाम जिसका रखती है माया है वह
माया, जिसकी इच्छा उसकी नींद में चलती है कभी वह इस माया को, पुकारती है बाबा कहकर
कभी कहती है, मनु, ओ मनु
कभी सोचने लगती है कोई बिल्कुल नया नाम ! जानती है वह,
चाहे किसी भी नाम से पुकार ले उसे बचेगा हर नाम हवा का आकार भर,
इसी शोक से बचने के लिए प्रेम करती है लड़की,
प्रेम करते हुए लड़की सोचती है वह सुरक्षित है विस्मृति में,
लालसा में, स्वार्थ में, याद नहीं रहता उसे
कि लालसा है जिसके लिए ढेर है वह, मुट्ठी-भर हड्डियों का
हड्डियाँ, जो निकल आती हैं, बिजली की भट्ठी से बाहर सिर्फ पाँच मिनट बाद,
प्रेम करते हुए लड़की कुछ भी नहीं सोचती बस अपनी भारी सांस,
ले जाती है उसके सीने के पास सूंघती है उसकी मांस, मज्जा और आत्मा ?
यहीं कहीं तो थी उसकी आत्मा ? कब छू पाएगी उसे वह इस मुट्ठी भर कंकाल के भीतर ?
इसी शोक में लड़की, प्रेम करती है
वहशत की हद तक, हर बार उसे लगता है अब के दीखने बंद हो जाएंगे,
उसे जिंदा आदमियों के जलते कंकाल अबके वह जिसे छुएगी, वह सुख होगा ख़ालिस सुख
हर बार वह डरकर, आदमी को जकड़ती है हर बार वह उससे, किसी जलती भट्ठी में छूट जाता है
शोक में लड़की प्रेम करती है, ऐसा प्रेम, ख़ुदा जिससे दुश्मनों को भी बचाए !
अंग्रेजी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 की विजेता बनीं पूर्वोत्तर की ईस्टरनि किरे, दिल्ली में की पत्रकारिता की पढ़ाई…
हिंदी की ही भांति अंग्रेजी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 का विजेता पूर्वोत्तर भारत की ईस्टरिन किरे को घोषित किया है। ईस्टरिन किरे का जन्म 29 मार्च 1959 को कोहिमा में हुआ था। उन्होंने शिलांग से ग्रेजुएशन किया है और दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की है।
उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी की डिग्री हासिल की है। उनको 2017 में टाटा बुक ऑफ द ईयर और 2018 में अपने उपन्यास ‘सन ऑफ द थंडरक्लाउड’ के लिए बाल साहित्य पुरस्कार भी मिल चुका है।
वर्ष 2013 में बार्सिलोना के कैटलन पेन से फ्री वर्ड पुरस्कार भी मिल चुका है। बता दें कि कुल 21 भाषाओं में जूरी सदस्यों द्वारा अनुशंसित, ये पुरस्कार उपन्यास, लघु कथाएं, कविता, निबंध और नाटक सहित विभिन्न श्रेणियों में दिए जाते हैं।