रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा राज्य के प्लस टू हाईस्कूलों में माध्यमिक आचार्य (सेकेंडरी टीचर) के 1373 पदों पर बाहाली के लिए निकाले गए विज्ञापन में कई तकनीकी विसंगतियों के कारण बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर...
रांची: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा राज्य के प्लस टू हाईस्कूलों में माध्यमिक आचार्य (सेकेंडरी टीचर) के 1373 पदों पर बाहाली के लिए निकाले गए विज्ञापन में कई तकनीकी विसंगतियों के कारण बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जारी है और अंतिम तिथि 27 अगस्त निर्धारित की गई है, लेकिन बीएड की अनिवार्यता और कुछ डिग्रियों को मान्यता न दिए जाने से शिक्षित युवाओं के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
विज्ञापन के अनुसार, आवेदन के लिए संबंधित विषय में स्नातकोत्तर (PG) डिग्री के साथ एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थान से बीएड/बीएएड/बीएससीएड डिग्री अनिवार्य है। लेकिन पहली बार जिन तकनीकी विषयों जैसे साइबर सिक्योरिटी, कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नियुक्ति होनी है, उनमें राज्य के किसी बीएड कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती। ऐसे में इन विषयों से पीजी कर चुके अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं, उर्दू विषय में निकाले गए 92 पदों पर फाजिल डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि राज्य सरकार की पूर्व की अधिसूचनाओं में फाजिल डिग्री को स्नातकोत्तर के समकक्ष मान्यता दी गई थी। इससे नाराज फाजिल डिग्रीधारियों ने शिक्षा निदेशालय को ज्ञापन सौंपते हुए डिग्री को मान्यता देने की मांग की है, ताकि वे भी इस बहाली प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें।
तीन प्रमुख विषयों से जुड़ी परेशानियाँ:
साइबर सिक्योरिटी और डेटा साइंसइस विषय में पहली बार 54 पदों पर बहाली होनी है, लेकिन बीएड की पढ़ाई राज्य में कहीं नहीं होती। ऐसे में इन पदों के लिए बीएड डिग्री की शर्त पूरी करना संभव नहीं है।
कंप्यूटर साइंसस्कूलों में पढ़ाया जाने वाला यह विषय पहली बार स्थायी शिक्षक बहाली प्रक्रिया में शामिल किया गया है। कुल 151 पदों पर नियुक्ति होनी है, लेकिन राज्य के अभ्यर्थी बीएड की डिग्री उपलब्ध न होने के कारण आवेदन नहीं कर पा रहे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसइस तकनीकी विषय में भी पहली बार 54 पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। लेकिन बीएड की अनिवार्यता यहाँ भी सबसे बड़ी बाधा बन गई है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब इन विषयों में बीएड की पढ़ाई राज्य में होती ही नहीं है, तो डिग्री की अनिवार्यता रखना अनुचित है। वे आयोग से नियमावली में संशोधन करने या इन विषयों के लिए बीएड की अनिवार्यता हटाने की मांग कर रहे हैं। साथ ही, भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन विषयों में बीएड की पढ़ाई शुरू करने की भी आवश्यकता जताई है।
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