अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या की पहचान व वापसी की प्रक्रिया होगी तेज, हर जिले में बनेगा एसटीएफ

रांची: राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया अब तेज होगी। इसको लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को विस्तृत निर्देश भेजे हैं। मंत्रालय ने कहा है कि प्रत्येक जिले में एक स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया जाए, जो पुलिस के अधीन कार्य करेगी और अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापसी की प्रक्रिया के तहत भेजेगी।

गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार, एसटीएफ को अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या की पहचान करनी होगी। पहचान के बाद उनकी जांच की जाएगी, और यदि यह सिद्ध हो जाता है कि संबंधित व्यक्ति बांग्लादेशी या रोहिंग्या है, तो उनकी बायोमैट्रिक पहचान ली जाएगी। यह जानकारी एफआईपी पोर्टल पर अपलोड की जाएगी, जिससे केंद्र सरकार भी उसका सत्यापन कर सके।

राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि हर जिले में बांग्लादेशी नागरिकों को अस्थायी रूप से रखने के लिए होल्डिंग सेंटर का निर्माण किया जाए। जांच प्रक्रिया के दौरान संदिग्धों को इन्हीं होल्डिंग सेंटर्स में रखा जाएगा। यदि कोई संदिग्ध यह दावा करता है कि वह भारतीय नागरिक है और देश के किसी अन्य राज्य में रह रहा है, तो संबंधित राज्य के गृह सचिव को रिपोर्ट भेजकर वहां से सत्यापन कराया जाएगा। सत्यापन की प्रक्रिया 30 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। यदि समय सीमा में रिपोर्ट नहीं आती, तो संबंधित अधिकारी अपने स्तर से निर्णय ले सकेंगे।

गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि हर महीने की 15 तारीख तक बांग्लादेशी और रोहिंग्या की वापसी से संबंधित रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाए। वापसी की पूरी प्रक्रिया में पुलिस स्कॉर्ट की व्यवस्था की जाएगी और इससे जुड़ा पूरा खर्च भारत सरकार वहन करेगी। साथ ही, किसी भी जिले में यदि बांग्लादेशी या रोहिंग्या की गिरफ्तारी होती है, तो इसकी सूचना तुरंत केंद्र सरकार को दी जानी चाहिए।

यह निर्देश देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों पर नियंत्रण के उद्देश्य से जारी किए गए हैं।