इफ्तार पार्टी में न जाने का कारण बताया बाबूलाल मरांडी ने, सरकार पर लगाए राजनीतिकरण के आरोप
रांची: झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इफ्तार पार्टी में शामिल न होने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इफ्तार रोजेदारों के लिए होता है और इसे राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल करना सही नहीं है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह केवल राजनीति करने के लिए ऐसे आयोजनों का सहारा ले रही है।
बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार के एजेंडे पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ऐसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दे रही है, जो विपक्ष से जुड़े हैं। उन्होंने सरना धर्मकोड और जातिगत जनगणना के मुद्दे का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य सरकार बीते दो वर्षों से ओबीसी जनगणना के लिए प्रयासरत होने की बात कर रही है, लेकिन अब तक इसे पूरा नहीं कर सकी है। उन्होंने कहा कि इसी कारण से नगर निकाय चुनाव भी अब तक अधर में लटके हुए हैं।
मरांडी ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “जहां-जहां इनकी सरकार है, वहां तो कोई ठोस मॉडल बनाकर दिखाएं। विपक्ष ने कभी भी किसी योजना के क्रियान्वयन में बाधा नहीं डाली, लेकिन सरकार केवल राजनीति करने में लगी हुई है और जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है।”
बाबूलाल मरांडी ने हाल ही में तमिलनाडु के एक मंत्री द्वारा उत्तर भारतीयों को लेकर दिए गए विवादित बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में उन्माद फैलाने का काम करती हैं, जो देश और समाज के लिए उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की राजनीति करने वाले नेता केवल वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और इससे समाज में दूरियां बढ़ेंगी।
मरांडी ने झारखंड सरकार से आग्रह किया कि वह केवल राजनीतिक बयानबाजी करने के बजाय जमीनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता रोजगार, शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं को लेकर परेशान है, लेकिन सरकार केवल इफ्तार पार्टियों और जातिगत राजनीति में उलझी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष सरकार के किसी भी अच्छे कार्य में बाधा नहीं डालेगा, लेकिन सरकार को अपने वादों को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।