Friday, August 1, 2025

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क्रिएटिव इकॉनमी के दौर में प्रेमचंद को नए कलेवर में नई पीढ़ी के साथ जोड़ा जा सकता है- कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास

रांची. “क्रिएटिव इकॉनमी के दौर में प्रेमचंद को नए कलेवर में नई पीढ़ी के साथ जोड़ा जा सकता है। आज कल कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लूएंसर्स अपने अनूठे कहानी कहने के अंदाज से लाखों करोड़ों लोगों के बीच देश दुनिया की जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे। उसी प्रकार हमारी वृहद भारतीय ज्ञान परम्परा को भी वो लोगों तक पहुंचा सकते हैं। प्रेमचंद हमारी ज्ञान परंपरा के महान साहित्यकार और उपन्यास सम्राट हैं, जिनकी सामाजिक सरोकार की कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं। इन्हीं प्रासंगिक कहानियों को एक नए कलेवर में आज की पीढ़ी के साथ जोड़कर प्रस्तुत कर रोजगार का सृजन भी किया जा सकता है।” यह बातें, मुंशी प्रेमचंद जयंती सह हिंदी कार्यशाला में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कही।

इस कार्यशाला का शीर्षक “प्रेमचंद की रचनाओं में नैतिक मूल्य और आदर्श” था। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं संस्थान के कर्मचारियों को हिंदी भाषा एवं साहित्य के प्रति जागरूक करना, कार्यालयीन कार्यों में हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करना तथा मुंशी प्रेमचंद के जीवन एवं कृतित्व से प्रेरणा लेना था।

कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास द्वारा पारंपरिक रूप से दीप प्रज्वलन एवं मुंशी प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण से हुई। उनके साथ प्रो. श्रेया भट्टाचार्जी, संकायाध्यक्ष, भाषा संकाय, हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो. रत्नेश विष्वक्सेन, और प्रो. देवव्रत सिंह, संकायाध्यक्ष, जनसंचार और मीडिया टेक्नोलॉजी संकाय भी मंच पर उपस्थित थे।

विश्वविद्यालय के हिंदी अधिकारी मधुरागी श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि एवं सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत कर कार्यक्रम की शुरुवात की। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय एवं उनकी रचनाओं में नैतिक मूल्य एवं आदर्श पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रो. रत्नेश विष्वक्सेन ने मुंशी प्रेमचंद के यथार्थवादी लेखन और समाज सुधार की भावना पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना अपने समय में था। प्रो. श्रेया भट्टाचार्जी और प्रो. देवव्रत सिंह ने भी प्रेमचंद पर अपने विचार रखे।

अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जगदीश सौरभ, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्थान के उपकुलसचिव ले.कमां. उज्जवल कुमार, डॉ सुदर्शन यादव, जनसंपर्क अधिकारी, डॉ रवि रंजन, नफीस अहमद खान, सहायक कुलसचिव सहित लगभग 300 हिंदी साहित्य प्रेमी उपस्थित रहें।

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