रांची: सात जिलों में पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को कोई आरक्षण नहीं मिलता है। लेकिन, इन जिलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित आरक्षण के तहत जो छात्र और अभ्यर्थी अर्हता प्राप्त करते हैं, उन्हें नौकरी और शिक्षा में आरक्षित स्थान मिलेगा।
यह सात जिले लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, दुमका, लातेहार, और खूंटी में शामिल हैं। इस आदेश को कैबिनेट की शुक्रवार की बैठक में मंजूरी दी गई है।
मंत्रिमंडल और समन्वय विभाग की प्रमुख सचिव वंदना दादेल ने बताया कि इसके लिए उन्हें वित्तीय अनुपात और अन्य सामान्य आर्थिक मापदंड पूरे करने होंगे, जो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए निर्धारित हैं।
इन सात जिलों में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की संख्या अधिक होने के कारण पिछड़ी जाति और अत्यंत पिछड़ी जाति को आरक्षण नहीं मिलता।
कैबिनेट की बैठक में 30 प्रस्तावों को भी मंजूरी मिली। राज्य मंत्रिपरिषद ने उस प्रस्ताव पर भी स्वीकृति दी, जिसके अंतर्गत राज्य के सरकारी पैरामेडिकल संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को एक साल तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में सेवा देना अनिवार्य होगा। इसके लिए उन्हें परिणामसूची में पहले से नामांकित होना चाहिए।
यदि यह शर्त पूरी नहीं होती है, तो संबंधित छात्र से एक लाख रुपये की जुर्माना लिया जाएगा। राज्य सरकार ने ‘एकलव्य योजना’ को लागू करने के लिए भी मार्गदर्शिका को मंजूरी दी। इस योजना के तहत राज्य सरकार यूपीएससी, जेपीएससी, केंद्र और राज्य आयोग की प्रतियोगिता परीक्षाओं की मुफ्त तैयारी कराएगी।
मार्गदर्शिका में कोचिंग संस्थानों और छात्रों के चयन की प्रक्रिया को निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहत निःशुल्क कोचिंग के दिशा-निर्देश को भी मंजूरी दी गई है।
राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के असमायोजित कर्मचारियों को समायोजन करने का भी निर्णय लिया है। करीब 67 कर्मचारियों को 1 जुलाई 2004 से वित्तीय लाभ और समायोजन की मंजूरी दी गई है।
पूराने विज्ञापन के आधार पर 2004 के दिसंबर के बाद नियुक्त कर्मचारियों को भी पुराने पेंशन का लाभ मिलेगा, परंतु उनकी नियुक्ति उस तिथि से पहले होनी चाहिए। इससे लगभग 10,000 कर्मचारी लाभान्वित होंगे। राज्य मंत्रिपरिषद ने वित्त विभाग के इस आदेश पर भी मंजूरी दी है।