इंडिया गठबंधन की ओर से जोबा मांझी को उम्मीदवार घोषित किया जाना क्या सांसद गीता कोड़ा को वॉकओवर देने जैसे प्रतीत होता है?

इंडिया गठबंधन की ओर से जोबा मांझी को उम्मीदवार घोषित किए जाने से सांसद गीता कोड़ा को वॉकओवर देने जैसे प्रतीत होता है?

सांसद गीता कोड़ा के बराबर का लोकप्रियता जोबा मांझी के पास नहीं है

जातीय समीकरण के अनुरूप इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार कमजोर दिखाई देती है

संतोष वर्मा

चाईबासाःसिंहभूम संसदीय क्षेत्र से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार की घोषणा आखिरकार कर दिया गया है। लेकिन लेट लतीफ के बाद भी उम्मीदवार घोषित होने से जो उत्साह सोशल मीडिया में दिखाई देना चाहिए, वो नहीं दिखा।

बल्कि इसके उलट प्रतिक्रिया देखने को मिली। सोशल मीडिया पर भाजपा उम्मीदवार सांसद गीता कोड़ा के लिए जीत आसान करने जैसे प्रतिक्रिया अधिक व्यक्त किया गया।

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हां,इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र की विधायक जोबा मांझी पर विश्वास जताया गया।

जबकि जातीय समीकरण के अनुरूप इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार कमजोर दिखाई देती है। इसलिए इस बार की लोकसभा चुनाव आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नए समीकरण की नींव रखने वाली साबित हो सकती है।

हालांकि सांसद गीता कोड़ा के खिलाफ है ग्रामीण जनता। लेकिन इसके बाद भी उनके पास अनुकूल सोशल इंजीनियरिंग वाली परिस्थिति है। उनके पास चुनावी रणनीतिकार की कमी नहीं है।

उनके पास साधन संसाधन की कमी भी नहीं है और ऊपर से भाजपा की उम्मीदवार है। और भाजपा का पारंपरिक वोट को बहुत आसानी से इंडिया गठबंधन के पक्ष में नहीं ध्रुवीकरण किया जा सकता है।

साथ ही सांसद गीता कोड़ा खासा लोकप्रिय भी है। सांसद गीता कोड़ा के बराबर का लोकप्रियता जोबा मांझी के पास नहीं है। भले जोबा मांझी कई बार मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर विधायक और मंत्री बनी हो। लेकिन सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में उनका राजनीतिक पकड़ बहुत मजबूत नहीं है।

अभी सिंहभूम संसदीय क्षेत्र के जिन पांच झामुमो और एक कांग्रेस का विधायक है उनमें से मुख्यमंत्री और मंत्री भी इसी लोकसभा चुनाव क्षेत्र से हों तो जोबा मांझी को कमजोर तो नहीं कहा जा सकता। हां,जोबा मांझी को जिताने की जिम्मेदारी सबकी है।झामुमो, कांग्रेस और राजद की है।

इस लोकसभा क्षेत्र में झामुमो, कांग्रेस, राजद की भी बेहतर सामंजस्य हो, ईमानदारी और निष्ठा के साथ सभी दल के कार्यकर्ता काम कर लें। कांग्रेस के कार्यकर्ता युवा न्याय, किसान न्याय, मजदूर न्याय, महिला न्याय, जल, धरती, जंगल न्याय की घोषणापत्र को जन जन तक पहुंचा सकते हो तो आशातीत परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।

झामुमो का नारा ही जल,जंगल,जमीन है। साथ ही 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति। और दूसरी ओर भाजपा की ओर से भी 1964 के सर्वे सेटलमेंट की वकालत की जा रही है।

सचमुच इस बार सिंहभूम लोकसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है। इंडिया और एनडीए गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। उसी तरह से आदिवासी मजदूर किसान पार्टी की ओर से जिला परिषद सदस्य जॉन मिरन मुंडा भी मजदूर और किसान को मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में उतरे हुए है।

जेबीकेएस की ओर से दामोदर सिंह हसदा भी चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं। अब देखना है आने वाले समय में और भी उम्मीदवार के उतरने की संभावना बनी हुई है। लेकिन बाबजूद इसके इंडिया गठबंधन की ओर से जोबा मांझी को उम्मीदवार घोषित किए जाने से सांसद गीता कोड़ा को वॉकओवर देने जैसे प्रतीत होता है।हलांकी यह चर्चा हो रही है की इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी जोबा माझी राज्य की मंत्री रही है लेकिन अपने ही विधानसभा क्षेत्र तक सिमित रही है।

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