रांचीः इतना सन्नाटा क्यूं है भाई….दिलों के कोने से अगर आज कोई ऐसी आवाज आ रही हो तो निश्चित जानिए ये दिल किसी क्रिकेटप्रेमी का है। संवाद फिल्म शोले का है मगर आज हर क्रिकेट प्रेमी के जज्बात को संभालने वाला है। फाइनल की हार से गमजदा दिल आज अगर रोना चाहता हो तो उसे बस ये याद दिलाइए कि पिछले एक महीने में उसने क्रिकेट का जो उत्कर्ष देखा है इससे पहले ऐसा देखा था कभी।
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इससे शानदार क्रिकेट देखा था कभी
याद कीजिए पिछले एक महीने में इससे शानदार क्रिकेट भारतीय टीम से कब देखी थी। आपको याद नहीं आएगा क्योंकि ऐसा कभी हुआ ही नहीं। वर्ल्ड कप में लगातार 10 जीत भारतीय टीम को इससे पहले कभी नहीं मिली। याद कीजिए हर मैच से पहले भारतीय टीम की जीत के प्रति इतना आश्वस्त आप कब हुए थे। आपको याद नहीं आएगा क्योंकि हम हमेशा एक ऐसी हीन ग्रंथी से प्रभावित होते थे, जिसमें अक्सर हमारे खिलाड़ी दूसरे देश के बड़े खिलाड़ियों के सामने बौने नजर आते थे। ये दीगर बात है कि वास्तविकता ऐसी थी नहीं।
मैदान पर दादा की तरह उतरती है भारतीय टीम
दरअसल आज की भारतीय टीम मैदान पर दादा की तरह उतरती है और दूसरी टीम उससे इतना खौफ खाती दिखती है मानो एक गलती हुई नहीं कि काम तमाम। ये भारतीय टीम की कमाई है जिसमें बरसों लगे हैं। इसकी कड़ियां जुड़ी हैं ..गावस्कर ने दुनिया को भारतीय प्रतिभा से परिचय कराया तो कपिलदेव ने क्रिकेट की दुनिया को बताया कि चैंपियन बनने का दम हममें भी है। सचिन ने श्रेष्ठता सिद्ध कर दी तो गांगुली ने दुनिया को जैसे को तैसा की भाषा में समझाया और धोनी ने बताया कि जीत का मंत्र हिंदी में भी पढ़ा जा सकता है।
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भारतीय टीम ने दहशत पैदा की
बात अगर मौजूदा भारतीय टीम की करें तो उसने दहशत पैदा की है। विरोधी टीमों के दिल में दहशत..और ये डर अच्छा है। पिछले एक महीने में इस दहशत को पूरी दुनिया ने महसूस किया। हम तो इतना ही कहेंगे कि ये डर अच्छा है। टीम रोहित ने भारतीय टीम को एक अलग मुकाम दे दिया है जो विश्व कप से कम नहीं। इसलिए जश्न मनाइए क्योंकि कप जीतने से कुछ कम नहीं है ये डर…जिसे देखकर आप कह सकें ये डर अच्छा है।