रांचीः प्रिय रोहित और टीम इंडिया
जानता हूं आपके लिए ये मुश्किल वक़्त है और हो सकता है कोई भी बात आपको अच्छी नहीं लग रही हो, पर क्या करूँ जबसे वर्ल्ड कप फाइनल का रिजल्ट आया है एक खेल पत्रकार और खेल समीक्षक होने के नाते कुछ सवाल मेरे सामने आ कर खड़े हो जा रहे हैं जिनका जवाब आप से चाहता हूं। जानता हूं कि आप सीधे तो मेरे सवालों के जवाब देंगे नहीं इसलिए ये पत्र लिख रहा हूं। यदि वक़्त हो तो इसे पढ़िएगा और जवाब देने की कोशिश कीजिएगा।
चाह कर भी टीम इंडिया का आलोचना नहीं कर पाया
हर मैच के बाद एक खेल पत्रकार के रूप में मैं मैच की समीक्षा करता हूं। खुले दिल से कहता हूं कि खेल समीक्षा करते वक़्त अगर टीम इंडिया से कहीं कोई चूक हुई होती है तो तल्ख़ लहजे में उसकी आलोचना करता हूं। वर्ल्ड कप फाइनल के बाद भी समीक्षा करने स्टूडियो में बैठा था, पर मैंने महसूस किया कि मैं चाह कर भी उस तल्ख़ अंदाज़ में भारतीय प्रदर्शन की आलोचना नहीं कर सका। क्या आप बता पाएंगे ऐसा क्यों ?
आपके आउट होने के तरीके पर सवाल करना चाहता था, साफगोई से कहूँ तो उसकी आलोचना करना चाहता था, लेकिन कुछ कहता उससे पहले याद आया कि पूरे विश्व कप में आपने इसी तरह तो बल्लेबाजी की है। निडर निर्भीक। आपके इसी फीयरलेस क्रिकेट की तो हम तारीफ़ करते रहे थे पूरे वर्ल्ड कप, फिर इस बार सिर्फ इसलिए कि हम फाइनल हार गए, कैसे आलोचना करता? नहीं कर पाया। आप बता सकते हैं मै क्यों आपके आउट होने के तरीके की मज़म्मत नहीं कर सका?
टीम इंडिया की हार के बाद भी लोगों में गुस्सा क्यों नहीं है
आमतौर पर टीम इंडिया की हार पर लोगों में गुस्सा होता है पर फाइनल हारने के बाद भी वो गुस्सा लोगों में क्यों नहीं है? कहते हैं कि क्रिकेट खिलाड़ी सिर्फ पैसों के पीछे भागते हैं तो फिर फाइनल हारने पर आपकी आँखों में आंसू क्यों थे ? सिराज फूट-फूट कर क्यों रो रहे थे? विराट कोहली ने अपना चेहरा कैप से क्यों छूपा लिया? क्या वे भी आंसू ही छिपा रहे थे? सारे खिलाड़ी इतने मायूस क्यों थे?
ऊपर पूछे गए सवालों के जवाब यदि आप के पास हो तो अवश्य दें। वैसे मैंने जो समझा है वो आपको बताना चाहूँगा। विश्व कप का परिणाम आने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि टूर्नामेंट की बेस्ट टीम ही टूर्नामेंट जीते ये ज़रूरी नहीं। ठीक है टीम इंडिया वर्ल्ड कप नहीं जीत सकी पर आपने जैसा प्रदर्शन किया है वैसे में विराट को कैप से चेहरा छिपाने की ज़रुरत नहीं उन्होंने तो विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाए हैं।
आप सब ना सिर्फ क्रिकेट खेलते हैं बल्कि उसे जीते भी हैं
आपकी आँखें आंसू डिजर्व नहीं करती, पूरे विश्व कप में आपकी अटैकिंग बल्लेबाजी का खौफ हमने सामने वाली टीम की आँखों में देखा है। ये मान कर चलिए कि सिर्फ एक दिन आपकी टीम का नहीं था और ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। ये भी जानता हूं कि ये आंसू आपकी कमजोरी की निशानी नहीं है, ये आंसू बताते हैं कि आप सब ना सिर्फ क्रिकेट खेलते हैं बल्कि उसे जीते भी हैं। देश के लिए विश्व कप नहीं जीत पाने के दुःख का प्रकटीकरण हैं ये आंसू।
पत्र के अंत में आपसे कहना चाहूँगा कि वर्ल्ड कप का परिणाम भले हमारे पक्ष में नहीं आया है पर आप पर और आपकी टीम पर हमारा भरोसा कायम है। बस इसी तरह देश के लिए अच्छा करने का जज्बा बनाए रखें।
धन्यवाद
आपका
राकेश रंजन कटरियार