डिजिटल डेस्क : ईरान की राजधानी तेहरान से मकरान में होगी ट्रांसफर, हुआ ऐलान। इंडोनेशिया के बाद एक और मुस्लिम देश ईरान ने अपनी राजधानी को तेहरान से हटाकर मकरान में ट्रांसफर करने का ऐलान किया है।
सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि – ‘ईरान अपनी राजधानी को दक्षिणी तटीय क्षेत्र मकरान में स्थानांतरित करेगा। यह एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य तेहरान की स्थायी अधिक जनसंख्या, बिजली की कमी और पानी की कमी को दूर करना है’।
ईरान के राष्ट्रपति खुद राजधानी बदलने के पक्षधर…
इस बीच खुद राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने ईरान की राजधानी के स्थान पर बहस को फिर से हवा दी है। उन्होंने तेहरान के वित्तीय संसाधनों और व्यय के बीच असंतुलन को अस्थिर बताते हुए एक बड़ा कदम उठाने की वकालत की।
फारस की खाड़ी के करीब जाने की वकालत करते हुएउन्होंने हाल ही में कहा कि , ‘दक्षिण से केंद्र तक कच्चे माल का परिवहन, उनका प्रसंस्करण और निर्यात के लिए उन्हें दक्षिण में वापस करना हमारी प्रतिस्पर्धी क्षमता को खत्म कर देता है।’
तेहरान से राजधानी ट्रांसफर करने को लेकर ईरानी प्रवक्ता का बयान जानिए…
ईरान के सरकारी प्रवक्ता फतेमेह मोहजेरानी ने कहा कि , ‘नई राजधानी निश्चित रूप से दक्षिण में, मकरान क्षेत्र में होगी, और इस मामले पर वर्तमान में काम किया जा रहा है। हम इंजीनियरों, समाजशास्त्रियों और अर्थशास्त्रियों सहित शिक्षाविदों, अभिजात वर्ग और विशेषज्ञों से सहायता मांग रहे हैं। यह मुद्दा अभी भी खोजपूर्ण चरण में है और कोई जल्दीबाजी नहीं है।’
इसी क्रम में ईरान के सरकारी प्रवक्ता फतेमेह मोहजेरानी ने तेहरान के बढ़ते पारिस्थितिक दबावों, जिसमें पानी की कमी भी शामिल है, पर प्रकाश डाला और इस कदम की व्यवहार्यता की जांच करने और मकरान क्षेत्र में समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए दो परिषदों के गठन की घोषणा की।
राजधानी के ट्रांसफर को ईरान सरकार बता जरूरी तो विरोधियों ने जताई चिंता…
इस पूरे मामले में रोचक तस्वीर परस्पर विरोधाभास का है। ईरान के सरकारी अधिकारियों ने राजधानी में बदलाव को रणनीतिक और आर्थिक रूप से जरूरी बताया है तो वहीं आलोचकों और सरकार के विरोधियों ने बहुत ज्यादा पैसों के खर्च और लॉजिस्टिक डिमांड पर चिंता जताई है।
रूढ़िवादी पत्रकार अली घोलहाकी सहित आलोचकों ने ईरान के राजधानी बदलने के प्रस्ताव की आलोचना की है। रूढ़िवादी पत्रकार अली घोलहाकी ने इस विचार को अवास्तविक और गंभीर आर्थिक तनाव से जूझ रहे देश के लिए जोखिम भरा बताया।
अली घोलहाकी ने कहा, ‘आजादी स्टेडियम के पुनर्निर्माण में 18 महीने लगें और इसकी लागत 19 ट्रिलियन रियाल ($23.75 मिलियन) है। ऐसे में राजधानी को बदलने में कितना समय और पैसा लगेगा? एक सदी और सैकड़ों अरबों डॉलर के बारे में सोचें!’