जगन्नाथ रथ मेला 2025: प्लास्टिक फ्री होगा रांची का ऐतिहासिक आयोजन, प्रशासन ने तैयारियों में जोड़ी सख्ती और संवेदनशीलता

29
जगन्नाथ रथ मेला 2025: प्लास्टिक फ्री होगा रांची का ऐतिहासिक आयोजन, प्रशासन ने तैयारियों में जोड़ी सख्ती और संवेदनशीलता
जगन्नाथ रथ मेला 2025: प्लास्टिक फ्री होगा रांची का ऐतिहासिक आयोजन, प्रशासन ने तैयारियों में जोड़ी सख्ती और संवेदनशीलता

रांची: राजधानी रांची में हर वर्ष आयोजित होने वाला ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ मेला 2025 इस बार एक नई सोच और सख्त प्रशासनिक निगरानी के साथ आयोजित होने जा रहा है। इस भव्य धार्मिक आयोजन को प्लास्टिक फ्री, पर्यावरण अनुकूल और सुरक्षित बनाने को लेकर जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियों की रूपरेखा तैयार की है। गुरुवार को उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में रथ मेला से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए।

प्रशासन का मुख्य फोकस इस बार मेले को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। हर साल लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण जहां धार्मिक आस्था का उल्लास चरम पर होता है, वहीं भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा भी चिंता का कारण बनता है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने मेले में प्लास्टिक थैलियों, डिस्पोजेबल ग्लास, प्लेट्स और चम्मच जैसी वस्तुओं पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इसके स्थान पर केवल पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों — जैसे डोना-पत्तल, बांस या मिट्टी के बर्तन — के उपयोग को अनुमति दी गई है।

उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाने और स्टॉल सील करने की चेतावनी दी गई है।

सुरक्षा और निगरानी के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। पांचों मुख्य प्रवेश द्वारों पर वॉच टावर, लाइट और माइक की व्यवस्था की गई है। जगन्नाथ मंदिर से मौसीबाड़ी तक की यात्रा मार्ग पर CCTV कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे भीड़ पर लगातार नजर रखी जा सके। झूले और अन्य मनोरंजन उपकरणों की तकनीकी जांच के लिए विशेषज्ञ निगरानी दल का गठन भी कर लिया गया है।

श्रद्धालुओं की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्वच्छता, पेयजल, बिजली, जनरेटर, बायोटॉयलेट और पांच चलंत शौचालयों की व्यवस्था की जा रही है। नगर निगम द्वारा गठित विशेष सफाई दल 27 जून से 5 जुलाई तक दो पालियों में मेले क्षेत्र की सफाई करेगा।

रथ यात्रा मार्ग को सुरक्षित और समतल बनाए रखने के लिए उस पर मिट्टी, मोरम या स्टोन डस्ट बिछाई जाएगी। इसके साथ ही मेले के आसपास मांस, मछली और शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लागू रहेगा, ताकि धार्मिक माहौल की पवित्रता बनी रहे।

प्रशासनिक और मीडिया शिविरों की स्थापना भी की जाएगी ताकि मेला प्रबंधन और सूचना संप्रेषण में कोई बाधा न आए।

यह रथ मेला इस बार न केवल आस्था और भक्ति का प्रतीक बनेगा बल्कि पर्यावरण चेतना और सामाजिक जिम्मेदारी की नई मिसाल भी पेश करेगा। प्रशासन का यह प्रयास इस आयोजन को एक सुनियोजित सामाजिक पहल में तब्दील करने की दिशा में बड़ा कदम है।