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Saturday, October 4, 2025

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JDU विधायक ने पार्टी को कहा अलविदा, तेजस्वी की मौजूदगी में थामेंगे लालटेन

JDU विधायक ने पार्टी को कहा अलविदा, तेजस्वी की मौजूदगी में थामेंगे लालटेन

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदली का खेल जारी है। अभी हाल ही में बीजेपी विधायक ने पार्टी को अलविदा कहा था। ताजा मामला परबत्ता सीट से जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार का है। माना जा रहा है कि तीन अक्टूबर को तेजस्वी यादव की मौजूदगी में संजीव राजद की सदस्यता ग्रहण कर लालटेन की रौशनी बुलंद करेंगे। भूमिहार वोटर्स के बीच अच्छी पकड़ रखने वाले परबत्ता विधायक की पाला बदली जदयू की बड़ी क्षति मानी जा रही है।

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पिछले बार 951 के मामूली अंतर से जीत थे चुनाव

गौरतलब हो कि अभी हाल ही में पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में ब्रह्मर्षि समाज की बैठक बुलाई थी। जिसे भूमिहार वोटरों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा गया। भूमिहार समाज से आने वाले डॉ. संजीव कुमार की जाति और क्षेत्र दोनों में अच्छी पकड़ है। डॉ. संजीव के राजद में जाने से जदयू की परबत्ता सीट कमजोर पड़ सकती है, जबकि राजद को भूमिहार समुदाय से बड़ा फायदा मिल सकता है। वैसे 2020 के विधानसभा चुनावों में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार डॉ. संजीव कुमार ने राष्‍ट्रीय जनता दल के दिगंबर प्रसाद तिवारी को महज 951 वोटों के अंतर से हराया था।

क्या है नाराजगी की वजह

पिछले कुछ समय से जदयू नेतृत्व के खिलाफ उनके बयान मीडिया में आ रहे थे। जब जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापसी की थी। डॉ. संजीव पर विधायकों की खरीद-फरोख्त की साजिश के मामले में ईओयू ने पूछताछ भी की थी। विधायक का आरोप है कि पार्टी के कुछ नेता बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं।

पार्टी के लोगों पर ही साजिश का आरोप

उन पर पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाकर जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने एफआईआर दर्ज कराई थी। डॉ. संजीव इसे फर्जी बताते हुये कहते हैं कि यह उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है। डॉ. संजीव और अशोक चौधरी के बीच मतभेद की खबरें भी आती रही हैं। अशोक चौधरी को राष्ट्रीय महासचिव का पद दिए जाने पर डॉ संजीव ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्हें समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों किया गया।

क्या होगा असर….

स्थानीय होने के कारण डॉ. संजीव का भूमिहार समाज से ही आने के कारण उनकी क्षेत्र में अच्छी पैठ है। पाला बदली के कारण एनडीए को इसका खामियाजा भी भूगतना पड़ सकता है।

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