रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में संविदा आधारित डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को निर्देश दिया है कि वे यह स्पष्ट करें कि जब सभी पद नियमित नियुक्ति के लिए हैं, तो संविदा पर भर्ती क्यों की जा रही है। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी।
असीम शकील नामक याचिकाकर्ता ने अदालत में याचिका दायर कर कहा कि झारखंड सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के 170 रिक्त पदों पर संविदा आधारित नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की है। इन पदों पर वॉक-इन इंटरव्यू के जरिए चयन किया जा रहा है। याचिका में तर्क दिया गया है कि ये पद केवल नियमित नियुक्ति के माध्यम से ही भरे जा सकते हैं, और संविदा आधारित नियुक्ति इस नियम के विरुद्ध है।
सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार, डॉक्टरों की भर्ती एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, शिशु रोग, स्त्री एवं प्रसूति, मनोरोग, और अन्य विभागों में की जानी है। संविदा पर नियुक्त डॉक्टरों को 1,50,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाएगा, और यह नियुक्ति अधिकतम दो वर्षों के लिए मान्य होगी या स्थायी नियुक्ति तक जारी रहेगी।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई है और सरकार तथा जेपीएससी से विस्तृत जवाब मांगा है।