झारखंड हाईकोर्ट ने पलामू की पूर्व डीईओ मीना कुमारी राय की बर्खास्तगी रद्द करने के एकलपीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए सरकार की अपील खारिज की।
Jharkhand High Court News रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने पलामू की तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) मीना कुमारी राय की बर्खास्तगी से जुड़े मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी रद्द करने के एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया। यह फैसला जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने सुनाया।
अदालत ने कहा कि काम में लापरवाही, प्रक्रियात्मक गलती या अधीनस्थ कर्मचारियों से सख्ती जैसे आरोपों के लिए किसी कर्मचारी को बर्खास्त करना बहुत कठोर सजा है। 31 साल की बेदाग सेवा के बाद किसी अधिकारी को बर्खास्त कर पेंशन जैसे लाभों से वंचित करना अनुचित और असंगत कदम है।
Key Highlights:
झारखंड हाईकोर्ट ने मीना कुमारी राय की बर्खास्तगी रद्द करने के एकलपीठ के फैसले को सही ठहराया
सरकार की ओर से दायर अपील कोर्ट ने खारिज की
कोर्ट ने कहा—काम में लापरवाही या प्रक्रियात्मक गलती पर बर्खास्तगी बहुत कठोर सजा
31 वर्षों की बेदाग सेवा के बाद बर्खास्त कर पेंशन लाभ रोकना अनुचित
मीना कुमारी पर अधीनस्थों का वेतन रोकने व आदेश पालन में लापरवाही के आरोप लगे थे
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मीना कुमारी राय 1988 में बिहार शिक्षा सेवा में शामिल हुई थीं और झारखंड राज्य गठन के बाद वे झारखंड कैडर में आ गईं। पलामू में डीईओ रहते हुए उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अधीनस्थों का वेतन रोका, सरकारी आदेशों का पालन ठीक से नहीं किया और काम में लापरवाही बरती। इसके बाद विभागीय कार्रवाई के तहत उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
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मीना कुमारी ने इस आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप इतने गंभीर नहीं हैं कि बर्खास्तगी जैसी कठोर सजा दी जाए। कोर्ट ने बर्खास्तगी रद्द करते हुए विभाग को मामले पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया था।
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इसके खिलाफ राज्य सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने एकलपीठ के निर्णय को पूर्णतः सही ठहराते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी।
इस फैसले से झारखंड शिक्षा विभाग के कई लंबित सेवा विवादों पर असर पड़ सकता है, खासकर उन मामलों में जहां मामूली प्रशासनिक त्रुटियों के आधार पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी।
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