आज हम चर्चा करेंगे गया लोकसभा सीट की.
गया लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. वर्तमान में यहां से जनता दल यूनाइटेड के विजय मांझी सांसद हैं.
और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए गया लोकसभा सीट पर एनडीए के घटक दल हम और राजद के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. हम पार्टी की ओर से हम के संयोजक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को टिकट दिया है वहीं राजद की ओर से गया के वर्तमान विधायक कुमार सर्वजीत को मैदान में उतारा गया है.
हम प्रत्याशी जीतन राम मांझी गया लोकसभा से तीसरी बार मैदान में उतरे हैं. बीते दो चुनावों 2014 और 2019 में जीतन राम मांझी को हार का सामना करना पड़ा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जीतन राम मांझी जदयू की टिकट से मैदान में उतरे लेकिन 1 लाख 31 हजार 828 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे . वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने हम पार्टी की टिकट पर लड़ा लेकिन इस बार भी वे दूसरे नंबर पर रहे. उन्हें जदयू प्रत्याशी विजय मांझी ने 1 लाख 52 हजार 426 वोटों से शिकस्त दे दी. अब 2024 के लेकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा बनी हम पार्टी से जीतन राम चुनावी मैदान में उतरे हैं. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि जीतन राम की नैया इस चुनाव में पार हो पाएगी या वहीं.
गया लोकसभा सीट की वर्तमान राजनीतिक स्थिति की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. जिनमें शेरघाटी, बाराचट्टी , बोधगया, गया टाउन, बेलागंज और वजीरगंज. इन 6 सीटों में 3 पर राजद, 2 भाजपा और 1 पर हम का कब्जा है.
शेरघाटी से मंजू अग्रवाल राजद की विधायक है ,बाराचट्टी में हम विधायक ज्योति देवी हैं. बोधगया में राजद विधायक कुमार सर्वजीत हैं. गया टाउन में भाजपा का कब्जा है और प्रेम कुमार विधायक हैं. बेलागंज में राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव का दबदबा है और वजीरगंज में भाजपा के बीरेंद्र सिंह विधायक हैं.
गया लोकसभा के इतिहास पर 1 नजर डालें तो गया लकोसभा में 1957 में चुनाव शुरु हुए. और पहले चुनाव में ही कांग्रेस ने गया में अपना परचम लहराया. और लगातार 2 बार अपनी जीत बरकरार रखी.
1957 में कांग्रेस की टिकट से ब्रजेश्वर प्रसाद जीते .
जिसके बाद 1962 के चुनाव में भी ब्रजेश्वर प्रसाद ने कांग्रेस की टिकट से जीत हासिल की.
1967 में कांग्रेस ने जीत की हैट्रिक लगाई और राम धनी दास सांसद बने.
1971 के लोकसभा में भारतीय जनसंघ ने कांग्रेस के विजय रथ को रोका और ईश्वर चौधरी जीतकर दिल्ली पहुंचे.
1977 में ईश्वर चौधरी ने एक बार और जीत हासिल की लेकिन इस बार उन्होंने जनता पार्टी की टिकट से जीत दर्ज की.
1980 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और कांग्रेस की टिकट से रामस्वरुप राम जीते.
1984 में रामस्वरुप राम ने कांग्रेस की जीत को बरकरार रखा.
1989 में गया लोकसभा में जनता दल ने जीत हासिल की और ईश्वर चौधरी सांसद बने.
जनता दल ने 1989 के बाद 1991 और 1996 में भी जीत हासिल की.
1991 में जनता दल से राजेश कुमार जीते.
वहीं 1996 में भगवती देवी ने जनता दल के टिकट से जीता.
1998 में भाजपा ने गया सीट पर अपनी पहली जीत दर्ज की और कृष्ण कुमार चौधरी भाजपा से पहले सांसद बने.
1999 में रामजी मांझी ने दूसरी बार भी भाजपा को जीत दिलवाई.
जिसके बाद 2004 में राजेश कुमार मांझी राजद से सांसद बने.
जिसके बाद गया में भाजपा ने लगातार दो बार जीत दर्ज की और 2009 और 2014 में हरि मांझी ने गया में भाजपा का परचम लहराया.
2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने गया सीट पर जीत हासिल की और विजय मांझी यहां से सांसद बने.
अब 2024 के चुनाव में जीतन राम मांझी और कुमार सर्वजीत के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा. जीतन राम मांझी के लिए यह चुनाव काफी अहम होने वाला है अब देखना होगा कि जीतन तीसरी बार भी गया में अपना परचम लहराने में सफल हो पाते हैं या नहीं.