रांची: जेपीएससी की पहली और दूसरी सिविल सेवा परीक्षाओं में कथित गड़बड़ी को लेकर राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्यों और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी है, जिससे सीबीआई को अब इनके खिलाफ मुकदमा चलाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
कई बड़े अधिकारियों पर गिरेगी गाज
राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद जेपीएससी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद, पूर्व सदस्य डॉ. गोपाल प्रसाद सिंह, राधागोविंद सिंह नागेश, प्रो. शांति देवी और परीक्षा नियंत्रक रहीं एलिस उषा रानी सिंह के खिलाफ सीबीआई अदालत में मुकदमे की कार्यवाही आगे बढ़ सकेगी।
12 अभ्यर्थियों के अंक जानबूझकर बढ़ाए गए
सीबीआई जांच में यह स्पष्ट हुआ कि जेपीएससी की पहली व दूसरी परीक्षाओं में 12 अभ्यर्थियों के अंक जानबूझकर बढ़ाए गए। उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर कर नंबर बढ़ाए गए और इंटरव्यू में भी अंक बदलकर कुछ अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। फॉरेंसिक जांच में इसकी पुष्टि हुई है।
चार्जशीट पर विशेष अदालत ने लिया संज्ञान
रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत पहले ही इस घोटाले की चार्जशीट पर संज्ञान ले चुकी है और आरोपियों को समन जारी कर चुकी है। पूर्व अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद समेत कुल 60 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है। इसमें आयोग के उच्च पदाधिकारी, चयनित अभ्यर्थी और अन्य शामिल हैं।
कई आरोपी अब एसपी और संयुक्त सचिव जैसे पदों पर
सीबीआई द्वारा नामजद जिन अभ्यर्थियों का नाम इस घोटाले में सामने आया है, उनमें से कई वर्तमान में झारखंड प्रशासनिक सेवा में ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं। इनमें से कुछ को प्रमोशन मिलकर एसपी, संयुक्त सचिव व समकक्ष पदों पर तैनात किया गया है।
चार्जशीट में नामजद प्रमुख अधिकारी:
प्रशांत कुमार लायक, चिंटू दोराई बुरू, विकास पांडेय, अरविंद कुमार सिंह, विजय आशीष कुजुर, राधा प्रेम किशोर, विनोद राम, हरिशंकर बराईक, हरिशंकर सिंह मुंडा, रवि कुमार कुजुर, मुकेश कुमार महतो, कुंदन कुमार सिंह, मौसमी नागेश, कानुराम नाग, लाल मोहन नाथ शाहदेव, प्रकाश कुमार, कुमारी गीतांजलि, संगीता कुमारी, रजनीश कुमार, शिवेंद्र, संतोष कुमार चौधरी, कुमार शैलेन्द्र और हरि उरांव आदि।
12 साल बाद पूरी हुई जांच, अब मिलेगी कानूनी रफ्तार
गौरतलब है कि इस घोटाले की जांच वर्ष 2012 में झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने जांच पूरी करने में 12 साल लगाए और 60 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अब राज्य सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद यह मामला विशेष अदालत में तेजी से आगे बढ़ेगा।
पहले भी मिल चुकी है अभियोजन की स्वीकृति
उल्लेखनीय है कि 2008 में हुई जेपीएससी व्याख्याता परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर भी इन पदाधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी गई थी।
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