Bokaro– कहते हैं मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरा मोती इस कहावत को चरितार्थ किया है बोकारो के किडनी रोग से ग्रस्त एक किसान राधेश्याम मुंडा ने.
आज जब युवा पीढ़ी किसानी को छोड़ जीविकोपार्जन के लिए महानगरों का रुख कर रही है. किसान राधेश्याम मुंडा ने जरीडीह के पारटांड़ में 20 एकड़ बंजर जमीन को न सिर्फ अपने मेहनत और लगन से उपजाऊ बना दिया बल्कि उस पर सब्जी की खेती कर प्रति वर्ष लाखों की कमाई कर रहा है.
बड़ी बात यह रही कि इस जमीन पर पटवन की कोई सुनियोजित व्यवस्था नहीं है. लेकिन फिर भी मुंडा 50 लोगों को नियमित रोजगार दे रहे हैं और इस प्रकार अपने क्षेत्र से युवाओं के पलायन पर अंकुश लगाया है.
राधेश्याम मुंडा बताते हैं कि यदि सरकार थोड़ी भी सहायता कर देती तो कम से कम दो सौ लोगों को रोजगार दिया जा सकता था. लेकिन, आज तक शासन-प्रशासन ने इस ओर रुख नहीं किया, जबकि उनकी ओर से लगातार मदद की गुहार लगाई जाती रही.
पत्थर उद्योग में 7 लाख डुबाने के बाद किसानी को बनाया आसरा
बता दें राधेश्याम मुंडा ने पहले 2018 में पत्थर उद्योग की ओर रुख किया था. इसमें इन्हे 7 लाख का नुकसान हुआ. लेकिन, मुंडा ने हार नहीं मानी और व्यवसाय बदल लिया और सब्जी की खेती का निर्णय लिया. सब्जी की खेती के लिए इन्हे एक हाथ की जरुरत थी. तब इनका मुंडा किसी स्थान पर 20 हजार की नौकरी कर रहा था. राधेश्याम मुंडा ने बेटे की नौकरी छोड़वा कर अपने साथ रख लिया. आज राधेश्याम मुंडा अपने बेटे को महीने में 15 हजार रुपए का पॉकेट खर्चा देते है.
राधेश्याम मुंडा बताते हैं कि पिछले साल 40 टन टमाटर बर्बाद हुआ था. बाजार में ग्राहक नहीं था. लेकिन जहां लाभ है, वहीं हानि होती है, इसलिए वे निराश नहीं हुए, आगे बढ़ते गएं.
रिपोर्ट- चुनचुन
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