रांची. 1987 बैच के एक तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी। झारखंड के पूर्व डीजीपी, दो दशक से ज्यादा समय तक नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ापहाड़ को मुक्त कराया और नीरज सिन्हा की यही सबसे बड़ी उपलब्धि रही। रिटायरमेंट के बाद नीरज सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी मिली। उस जेएसएससी की जिम्मेदारी, जो विवादों का दूसरा नाम है। नीरज सिन्हा को जेएसएससी (JSSC) का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद उम्मीद जगी थी कि नीरज सिन्हा आयोग पर लगते आ रहे विवादों के दाग को धो डालेंगे, लेकिन हुआ बिल्कुल उलट।
जेएसएससी में विवाद की जो प्रथा चलती आ रही थी, वो नीरज सिन्हा के पदभार ग्रहण के बावजूद जारी रहा और विवाद जारी रहा तो इस विवादों के बीच नीरज सिन्हा ने अचानक चौंका दिया। जेएसएससी के अध्यक्ष पद से अचानक नीरज सिन्हा के इस्तीफे की खबर आई। मुख्य सचिव को लिखे लेटर में नीरज सिन्हा ने व्यक्तिगत कारणों से पद के त्याग का जिक्र किया है।
नीरज सिन्हा का इस्तीफा
जेएसएससी (JSSC) अध्यक्ष नीरज सिन्हा का इस्तीफा उस वक्त आया, जब सीजीएल पेपर लीक मामले की जांच चल रही है। नीरज सिन्हा का इस्तीफा उस वक्त आया, जब पेपर लीक मामले में गिरफ्तारियां हो रही है। नीरज सिन्हा का इस्तीफा उस वक्त आया, जब जेएसएससी जेई के अभ्यर्थी रिजल्ट की मांग को लेकर सड़कों पर हैं। जेएसएससी अध्यक्ष नीरज सिन्हा का इस्तीफा इन हालातों के बीच आना। सवालों में हैं…सवाल ये कि..जिस नीरज सिन्हा ने बूढ़ापहाड़ से नक्सलियों को खदेड़ दिया, वो आयोग पर उठते सवालों के बीच इस्तीफा कैसे दे सकते हैं? सवाल ये कि तेज तर्रार ईमानदार छवि वाले नीरज सिन्हा को 6 महीने के भीतर ही जेएसएससी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की नौबत कैसे आई? सवाल ये कि..जब अधिकतम 65 साल तक के लिए नीरज सिन्हा को जेएसएससी की जिम्मेदारी मिली थी, वो किस वजह से और अचानक आयोग के अध्यक्ष पद का त्याग कर बैठे?
राज्य गठन के बाद डीजीपी, कई जिलों में एसपी, एसीबी में आईजी, एडीजी, एसीबी में एडीजी तक के पद पर जिस नीरज सिन्हा के कामकाज की तारीफ हुई, उस नीरज सिन्हा पर जेएसएससी के 6 महीने के कार्यकाल में सवाल उठे। छात्रों ने विरोध स्वरूप नीरज सिन्हा की गाड़ी पर अपना गुस्सा उतारा, लेकिन विवाद, सवाल के बीच नीरज सिन्हा खामोश रहे और अचानक से जेएसएससी के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया।
जेएसएससी सीजीएल का पेपर लीक
दरअसल, पिछले दिनों जेएसएससी सीजीएल का पेपर लीक हो गया था। पेपर लीक के बाद जमकर बवाल हुआ। सीजीएल की परीक्षा को रद्द करना पड़ा। सीबीआई जांच की मांग अभी भी हो रही है, लेकिन एसआईटी का गठन हुआ। झारखंड सरकार के निर्देश पर रांची एसएसपी चंदन सिन्हा ने एसआईटी का गठन किया। विधानसभा के अवर सचिव और उनके दो बेटों की गिरफ्तारी हुई।