रांची: कोल्हान विश्वविद्यालय ने स्नातक के विद्यार्थियों को एक बार फिर से परीक्षा देने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह कदम उन विद्यार्थियों की शिकायतों के मद्देनजर उठाया है जिन्होंने 2017 से 2019 के बीच सेमेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई की और पास आउट हुए।
जब वर्ष 2017 में कोल्हान विश्वविद्यालय ने सेमेस्टर प्रणाली लागू की, तो 2017-20, 2018-21, और 2019-22 सत्रों के विद्यार्थियों को “च्वाइस कोल्हान बेस्ड क्रेडिट सिस्टम” के तहत नामांकित किया गया। हालांकि, यूजीसी के नियमों के अनुसार इन सत्रों में विद्यार्थियों को दो जेनरिक पेपर पढ़ना अनिवार्य था। लेकिन, विश्वविद्यालय ने केवल एक जेनरिक पेपर पढ़ाया और दूसरे जेनरिक पेपर की कोई परीक्षा नहीं ली।
इस कमी के कारण, जिन विद्यार्थियों ने फिजिक्स, गणित या केमेस्ट्री जैसे विषयों का चयन किया था, उन्हें दूसरे जेनरिक पेपर के अंक के बिना प्रतियोगी परीक्षाओं के फार्म भरने में समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस मुद्दे पर विद्यार्थियों ने व्यापक आंदोलन किया, जिसके बाद सांसद जोबा मांझी ने राजभवन को एक पत्र भेजा।
राजभवन ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए विश्वविद्यालय प्रबंधन को निर्देश दिया और अब विश्वविद्यालय ने इस मुद्दे पर एकेडमिक काउंसिल की बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। बैठक में प्रस्तावित किया जाएगा कि या तो दूसरे जेनरिक पेपर की परीक्षा आयोजित की जाए या कोई वैकल्पिक समाधान प्रदान किया जाए।
इस निर्णय से छात्रों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से इस समस्या के समाधान की प्रतीक्षा कर रहे थे।