Aurangabad-मौआर खैरा निवासी लीला देवी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक अदद छत की तलाश महंगी पड़ गयी. आवास मिलने से पहले ही वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. भ्रष्टाचार की गंगोत्री में उसकी जीवन लीला समाप्त हो गयी.
दरअसल लीला देवी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास की स्वीकृति मिली थी. लीला देवी को जब आवास मिलने की सूचना मिली तो वह खुशी से झुम उठी. लेकिन उसकी खुशी तब काफूर हो गयी, जब भ्रष्टाचार के महारथियों ने उसके पहले ही किस्त से 20 हजार रुपये डकार गयें.
भ्रष्टाचार की लीला ने लील डाली लीला की जिंदगी
बताया जा रहा है कि आवास की स्वीकृति मिलने पर आवास सहायक जय कुमार और पंच पति उसे अपने साथ मोटर साइकिल में बैठाकर बैंक ले गएं. 45,000 हजार रुपये के चेक पर उसका अंगुठा लगवाया गया. लेकिन उसके हाथों में दिया गया मात्र 25,000 हजार. बाकि के बीस हजार रुपये आवास सहायक और पंच पति ने अपने पास रख लिया.
भ्रष्टाचारियों की दलील, हम भी बेबस, उपर से नीचे तक चढ़ता है चढ़ावा
लीला देवी को बताया गया कि उपर से नीचे तक सबों को चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है. बिना चढ़ावे के आवास नहीं मिलता. भ्रष्टाचार की इस कहानी को सुन कर लीला देवी हैरान परेशान थी, उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी. वह पूरे गांव में घूम-घूम कर लोगों से पूछ रही थी कि अब मेरा आवास कैसे बनेगा, मेरे सर पर छत कैसे आयेगा. वह जार-बेजार रो रही थी, अचानक से उसका बीपी भी बढ़ गया और आखिरकार ब्रेन हेमरेज हो गया. आनन फानन में परिजनों ने मगध मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया. लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.
बड़ा सवाल अब कौन पालेगा, लीला के सात-सात बच्चों को
मृतिका की पहचान बबन सिंह की पत्नी है, उसके सात बच्चे हैं, पति बबन सिंह मानसिक रुप से विक्षिप्त है. बड़ा सवाल यह है कि भ्रष्टाचार की लीला ने तो लील डाला लीला देवी की जिंदगी, लेकिन अब उनके सात बच्चों की परवरिश कौन करेगा.
इधर इस बेहद दर्दनाक खबर पर जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने कहा है कि पहले भी इस तरह की शिकायत मिलते रही है, कार्रवाई भी की गयी है, इस मामले में दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.
रिपोर्ट-दीनानाथ