रांची: अलबर्ट एक्का चौक में रविवार को वामपंथी दलों, प्रगतिशील लेखक संघ, आदिवासी संगठन, एसटी-एससी मोरचा तथा अन्य संगठनों के लोगों ने नये संसद भवन का उदघाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नहीं कराये जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नए संसद भवन के उदघाटन का विरोध किया. विरोध में काला बिल्ला लगाकर हाथों में तख्तियां लेकर काला दिवस मनाया गया. इस मौके पर तारामनी साहू ने कहा कि देश की महिलाएं विरोध कर रही हैं. नये संसद भवन का उदघाटन राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए था. संसद का उदघाटन भारत की पहली महिला के हाथों किया जाना चाहिए था.
उन्हें इनॉगरेशन में आमंत्रित तक नहीं किया गया. पीएम महिला राष्ट्रपति का अधिकार नहीं लो सकते. वहीं, समाज सेवी माला कुजूर ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला भी हैं. नये संसद भवन का उदघाटन कार्यक्रम में राष्ट्रपति को बुलाया जाना एक बेईज्जती है. यह केंद्र की सरकार की बेइज्जती है. समाज सेवी दयामनी बारला ने कहा कि देश का प्रथम व्यक्ति होता है राष्ट्रपति. संविधान में जो राष्ट्रपति का अधिकार है, उसे देश के कस्टोडियन के हाथों उदघाटन होना चाहिए. केंद्र सरकार ने देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान है. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होता है. देश के नये संसद भवन का उदघाटन नहीं कराना भारतीय संविधान और लोकतंत्र पर हमला है.
कार्यक्रम में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव महेंद्र पाठक, जिला सचिव अजय कुमार सिंह ,इम्तियाज खान, रतन तिर्की, धर्मवीर सिंह, इसहाक अंसारी, फरजाना फारुकी, प्रलेश के रणेंद्र पंकज मित्र भुवनेश्वर केवट ,एसके राय ,आनंदिता, प्रगतिशील लेखक संघ के रमेंद्रऔर रवि भूषण, रवि, सच्चिदानंद मिश्रा, जनार्दन प्रसाद ,किरण कुमारी ,सुरेंद्र कुमार दीक्षित, सहित कई लोग मौजूद थे.