पटना : बिहार में दो विधानसभा सीटों गोपालगंज और मोकामा में 3 नवंबर को मतदान होगा,
और 6 नवंबर को रिजल्ट आ जाएगा. उपचुनाव में महागठबंधन और
बीजेपी दोनों की साख दांव पर हैं. कहने को सिर्फ दो सीटों पर उपचुनाव हो रहा है
लेकिन इसका व्यापक असर बिहार की राजनीति पर पड़ सकता है.
लोकसभा चुनाव में पड़ेगा असर
पहले गोपालगंज पर बीजेपी का और मोकामा सीट पर आरजेडी का कब्जा था.
अगर दोनों एक-एक सीट पर चुनाव जीतते हैं तो मुकाबला बराबरी का होगा.
लेकिन अगर दोनों सीट कोई एक पार्टी जीतती है तो इसका फायदा आने वाले
लोकसभा चुनाव में पार्टी या गठबंधन को मिल सकता है.
उपचुनाव महागठबंधन और बीजेपी के लिए अहम
बता दें कि यह उपचुनाव महागठबंधन सरकार के लिए इसलिए भी जरूरी माना जा रहा है
क्योंकि इससे तीन महीने पुरानी सरकार के कामकाज को आंका जाएगा. ऐसे में यह देखने लायक होगा कि बीजेपी से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन की जो सरकार बनाई है, उससे जनता खुश है या नहीं.
वहीं, दूसरी ओर ये चुनाव बीजेपी के लिए इसलिए अहम है, क्योंकि बीजेपी जानना चाहती है कि नीतीश कुमार के अलग होने के बाद राज्य में पार्टी की जमीन कितनी मजबूत है या कुछ खास फर्क पड़ा है. हालांकि इस उपचुनाव के परिणाम से महागबंधन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
उपचुनाव के प्रचार में भाजपा आगे!
अब तक तो उपचुनाव प्रचार में भाजपा ही आगे दिख रही है. भाजपा ने गोपालगंज और मोकामा में जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी ने राज्य के बड़े नेताओं के साथ-साथ विधायकों की पूरी फौज इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उतार दी थी. इसके अलावा भोजपुरी फिल्मों के तीनों स्टार और सांसद रविकिशन, दिनेश लाल निरहुआ और मनोज तिवारी ने भी इन क्षेत्रों में रोड शो करके मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया. वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में धुंआदार उपस्थिति दर्ज कराई. दूसरी तरफ महागठबंधन की ओर से एक मात्र स्टार प्रचार के रूप में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ही मैदान में दिखाई दिए.
साख दांव पर: महागठबंधन को मिल सकता है इस चीज का फायदा
उपचुनावों के लिए जातीय समीकरण की बात करें तो महागबंधन काफी मजबूत दिखाई देता है. लेकिन वोटों के बंटवारे का असर रिजल्ट पर दिखाई दे सकता है. गोपालगंज में बीजेपी और आरजेडी में सीधी लड़ाई है, लेकिन बसपा से साधु यादव की पत्नी यानी तेजस्वी की मामी भी चुनाव मैदान में हैं. साथ ही ओवैसी की पार्टी भी ताल ठोके हुए है, जिसका असर आरजेडी के मूल वोट बैंक पर पड़ सकता है.
कितना भी जोर लगा लें ओवैसी, कुढ़नी में नहीं जीतेगी बीजेपी-जेडीयू