डिजिटल डेस्क : म्यांमार के मायावाडी में Cyber Crime में लिप्त हैं 2 हजार से अधिक भारतीय। महाकुंभ में संगम स्नान और पूजन एवं परिधान बदलती महिलाओं के फोटो-वीडियो को ऑनलाइन बेचने के Cyber Crime के खुलासा होने एवं 3 Cyber अपराधियों की गिरफ्तारी के साथ ही सुर्खियों में आया दुनिया में सबसे बड़े Cyber Crime के संचालकों के गांव म्यांमार के मायावाडी से एक नई जानकारी सामने आई है।
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यह जानकारी भी काफी चौंकाने वाली है। बताया जा रहा है कि गभग 2,000 भारतीय इसीमायावाडी में Cyber स्कैम चला रहे हैं। ये लोग ऑनलाइन Cyber फ्रॉड करके भारत और अमेरिका के लोगों को अपना शिकार बनाते हैं।
दुनिया भर के दबाव के बाद थाईलैंड ने कार्रवाई शुरू कर दी है। उसने म्यांमार के उन इलाकों में बिजली, इंटरनेट और ईंधन की सप्लाई काट दी है जहां ये स्कैम चलते हैं। चीन ने भी थाईलैंड से कहा है कि वह सीमा पार बिजली सप्लाई पर रोक लगाए जिससे इन साइबर स्कैम को मदद मिलती है।
इन सबके बावजूद, हालात अभी भी खराब हैं। कई भारतीय Cyber Crime के इस बड़े अड्डे के खतरनाक जाल में फंसे हुए हैं एवं लाचारी में ही सही लेकिन Cyber Crime में लिप्त हैं।
नौकरी की लालच में मायावाड़ी में फंसे भारतीय
दुनिया में सबसे बड़े Cyber Criminals के गांव मायावाडी चर्चा के केंद्र में आ गया है। वजह यह कि यहां Cyber Criminals के चंगुल में बड़ी संख्या में भारतीयों के भी फंसे होने की पुष्टि की गई है। बताया जा रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े Cyber Criminals के गांव मायावाडी में भारतीय युवा नौकरी के झांसे में फंस गए हैं।
कई भारतीयों को नकली नौकरी का लालच देकर मायावाडी लाया गया। यहां उन्हें जबरदस्ती ऑनलाइन Cyber ठगी करने पर मजबूर किया गया है। कुछ लोगों को तो बचा लिया गया है। लेकिन भारतीय दूतावास का कहना है कि असली आंकड़ा इससे कहीं ज़्यादा है। कई लोग अभी भी इस खतरे से अनजान हैं।
दूतावास के अधिकारी फंसे हुए भारतीयों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इनकी संख्या 2 हजार तक हो सकती है लेकिन फिलहाल 150 से कुछ अधिक भारतीयों के मायावाडी में फंसे होने की जानकारी सरकार को मिली है। दूतावास ने स्पष्ट किया है कि जो लोग जानबूझकर इन स्कैम में शामिल हैं, वे पीड़ित नहीं बल्कि अपराधी हैं।
भारतीय अधिकारियों ने नौकरी ढूंढ़ने वालों से कहा है कि म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड में नौकरी का ऑफर मिलने पर अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें। वर्ना स्कैम में फंसने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
कई लोग बिना भारतीय अधिकारियों को बताए स्वेच्छा से काम कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय का कहना है कि मदद मांगने वालों की सहायता के लिए प्रयास जारी हैं।
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600 से ज्यादा भारतीय Cyber Criminals से छुड़ाए गए…
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जून 2022 से अब तक 600 से ज़्यादा भारतीयों को म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड में चल रहे Cyber Crime सेंटरों से बचाया जा चुका है। यह स्थिति चिंताजनक है। सरकार लगातार इन लोगों को सुरक्षित वापस लाने के प्रयास कर रही है।
नौकरी के लालच में लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। इसलिए ज़रूरी है कि लोग सावधान रहें और किसी भी नौकरी के ऑफर की अच्छी तरह जाँच-पड़ताल करें। खासकर अगर वह विदेश में हो।
बीते 18 फरवरी को 3 भारतीय मायावाडी के एक Cyber Crime सेंटर से भाग निकले। दूतावास ने उन्हें यांगून पहुंचने में मदद की। अब उन्हें भारत वापस लाने की तैयारी चल रही है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि मायावाडी में कानून-व्यवस्था की कमी के कारण बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाना मुश्किल है।
बताया जा रहा है कि मायावाडी Cyber Crime का अड्डा बन गया है। यहां लोगों को डरा-धमका कर ऑनलाइन Cyber फ्रॉड में शामिल किया जाता है। झूठे नौकरी के वादों के झांसे में आकर कई लोग इन Cyber Crime सेंटरों में फंस जाते हैं।
उनके पास भागने का कोई रास्ता नहीं होता। भारी रकम की फिरौती देकर ही वे छूट सकते हैं। यह इलाका सरदारों और मिलिशिया के कब्जे में है। इसलिए बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है। फिर भी भारतीय दूतावास के अधिकारी मदद मांगने वालों को निकालने में लगे हैं।

मायावाडी के Cyber Criminals के चंगुल से 200 चीनी छुड़ाए गए
मिली जानकारी के मुताबिक, मायावाडी से संचालित इस Cyber अपराध सिंडिकेट में लोगों को अच्छी नौकरियों का लालच देकर बुलाया जाता था। फिर उन्हें जबरन ऑनलाइन Cyber ठगी करने के लिए मजबूर किया जाता था। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, हजारों लोगों को धोखे से इन केंद्रों में लाया गया और अवैध ऑनलाइन अपराधों में धकेल दिया गया।
कई पीड़ितों ने बताया कि जब उन्होंने Cyber अपराधों में शामिल होने से इनकार किया तो उन्हें शारीरिक प्रताड़ना दी गई। उन्हें पीटा गया, भूखा रखा गया और यहां तक कि इलेक्ट्रिक शॉक भी दिए गए। बीते गुरुवार को इस क्षेत्र के Cyber ठगी केंद्रों के चंगुल में फंसे 200 चीनी नागरिकों को मुक्त कराने में सफलता मिली है।
इन्हें थाईलैंड के रास्ते उनके वतन वापस भेज दिया गया। यह कदम एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा था। इसका उद्देश्य इन ऑनलाइन Cyber ठग गिरोहों के चंगुल से लोगों को छुड़ाना है। हाल ही में मायावाडी के Cyber अपराधियों की ठगी नेटवर्क पर तब ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा, जब चीनी अभिनेता वांग ज़िंग इस गिरोह के चंगुल में फंस गए।
उन्हें एक फर्जी फिल्म प्रोजेक्ट के बहाने मायावाडी बुलाया गया था। उनकी गुमशुदगी के बाद मामला तूल पकड़ गया और Cyber ठगी के इस काले साम्राज्य पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया। इस घटना के बाद, चीन में करीब 1,800 परिवारों ने अपने लापता प्रियजनों के नाम सरकार को सौंपे।
उनके बारे में माना जा रहा था कि वे इसी तरह के Cyber अपराध गिरोहों में फंसे हुए थे।दुनिया के सबसे बड़े Cyber अपराधियों के गांव के लोगों की जाल में फंसने वालों को मुक्त कराने के लिए जारी अंतरराष्ट्रीय अभियान के पीछे लक्ष्य है कि यहां से संचालित Cyber अपराध के सिंडिकेट को ध्वस्त किया जाए।
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इसके लिए चीन, थाईलैंड और म्यांमार की सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। बताया जा रहा है कि इस हफ्ते के अंत तक कुल 600 चीनी नागरिकों को इन Cyber ठगी केंद्रों से छुड़ाकर उनके देश वापस भेजा जाएगा।
थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री फूमथम वेचयाचाई ने कहा है कि –‘इस ऑपरेशन की सफलता के लिए तीनों देशों का सहयोग जरूरी है। अगले हफ्ते इस विषय पर तीनों देशों के अधिकारी एक विशेष बैठक करेंगे।‘
इस बीच थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने कहा कि – ‘…अब तक म्यांमार में इन Cyber ठगी केंद्रों से करीब 7,000 लोगों को बचाया जा चुका है और वे थाईलैंड में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।
…यह ऑपरेशन दिखाता है कि कैसे संगठित अपराध से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत होती है। …मायावाडी जो कभी Cyber ठगों के लिए स्वर्ग था अब कानून के शिकंजे में आ रहा है’।