Giridih : गिरिडीह में नक्सली संगठन को एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है। इस बार भाकपा माओवादी संगठन में ज़ोनल कमिटी का सदस्य सह 10 लाख के इनामी नक्सली रामदयाल महतो उर्फ़ बच्चन दा उर्फ़ निलेश दा उर्फ अमर दा ने झारखण्ड सरकार के द्वारा चलाये जा रहे नई दिशा-एक नई पहल पुनर्ववास सह आत्मसमर्पण नीति से प्रेरित होकर पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है।
Giridih : कई सरकारी नौकरियों के लिए कर चुके थे प्रयास
रामदयाल महतो के आत्मसमर्पण करने के बाद पपरवाटांड स्थिति नए पुलिस लाइन में आज गिरिडीह पुलिस के द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से डीआईजी हजारीबाग जोन सुनील भास्कर शामिल हुए। बताया गया की है कि माओवादी रामदयाल महतो मैट्रिक पास करने के बाद टीचर ट्रेनिंग स्कूल में अप्लाई किया था। इंटरव्यू में शामिल भी हुए, जिसमें दाखिला नहीं होने पर ये बीएमपी में गये। वहां सेलेक्शन हुआ किंतु दानापुर कैंट में 1971-72 में कौलेरा फैला हुआ था इसलिए उन्होंने डर से ज्वाईन नहीं किया।
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इसके बाद पुनः इन्होंने वन विभाग में वनरक्षी के पद पर अप्लाई किया जिसमें इनका सेलेक्शन नहीं हुआ। 1989-90 में किसान कमेटी के नेतृत्व में इनके ईलाके में फसल व जमीन जप्त का बोलबाला था। इसी क्रम में आम जनता के रूप में ये सहभागिता स्वरूप किसान कमेटी ज्वाईन किया। इसमें ये जनता का किसी जमीन में धान काटने, फसल जप्त करने इत्यादी कामों में सहयोग करते थे।
वर्ष 1989-90 में एमसीसी का नारा से प्रभावित होकर गांव किसान कमिटि में शामिल हुए। वर्ष 1996-97 में पहली बार इन्हें किसान कमेटी का नेतृत्वकर्ता बनाया गया। आगे चलकर इन्हें पार्टी कमिटी ने एरिया कमाण्डर, सब जोनल मेंबर, जोनल मेंबर और अंत में सर्व सम्मती स्पेशल एरिया कमिटी का पद भार दिया। इस समय ये भाकपा माओवादी के ज़ोनल कमिटी मेंबर पद पर हैं। ये शीर्ष दस्ता के प्रशांत बोस, आशुतोष सोरेन, प्रयाग मांझी, अनल दा. मिसीर बेसरा एवं अन्य के संपर्क में रहे एवं पार्टी में काफी सक्रिय थे।
पार्टी में नितिगत सिद्धांत से चल रहे थे नाराज
हाल के दिनों में पार्टी में नितिगत सिद्धांत से परे कार्य किये जाने एवं आम लोगों से भयादोहन कर लेवी वसूल जाने के कारण ये नाराज चल रहे थे। जिसके संबंध में इनके अध्यक्षता में पार्टी या सदस्यों द्वारा पार्टी के मूल सिद्धांत के अनुरूप कार्य किये जाने हेतु कई बैठकें की गई, परंतु बार-बार इनके सुझाव को अन्य सदस्यों द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया। इसी बीच 2 अगस्त को छलछलवा झरना के पास पार्टी की बैठक हुई जिसमें इनके सुझाव को अन्य सदस्यों द्वारा नकार दिया गया।
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इसके बाद ये अपने बीमारी एवं अधिक उम्र का बहाना बनाकर चलंत दस्ता से बाहर आए। तत्पश्चात पुलिस के द्वारा लगातार छापामारी के कारण पकड़े जाने के भय से ये गिरिडीह पुलिस एवं सीआरपीएफ 154/ बटालियन के पदाधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण की स्वीकृति दिये। इधर समर्पण के बाद नक्सली रामदयाल को दस लाख का चेक व 50 हजार रुपए नगद दिया गया।
गिरिडीह से नमन नवनीत की रिपोर्ट—