अवैध धर्मांतरण केस में NIA कोर्ट का फैसला – मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 12 को उम्रकैद

सजायाफ्ता मौलाना कलीम सिद्दीकी

लखनऊ : अवैध धर्मांतरण केस में NIA कोर्ट का फैसला – मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 12 को उम्रकैद। यूपी के लखनऊ में NIA की विशेष अदालत ने अवैध धर्म परिवर्तन के मामले में दोषी करार दिए गए मोहम्मद उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 12 लोगों को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

मामले के चार अन्य दोषियों को10-10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने सभी को गत मंगलवार को दोषी करार दिया था और बुधवार को सजा का ऐलान किया।

NIA विशेष कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण के अपराध में इन्हें सुनाई सजा..

NIA के विशेष कोर्ट के आदेश के मुताबिक, स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मोहम्मद उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी, इरफान शेख, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, प्रकाश रामेश्वर कावड़े उर्फ आदम, भुप्रिय बन्दो उर्फ अर्सलान मुस्तफा, कौशर आलम, फराज वाबुल्लाशाह, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी, काजी जहांगीर और अब्दुल्ला उमर को भारतीय दंड संहिता की धारा 121 ए (राष्ट्रद्रोह) के तहत आजीवन कारावास और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा हुई है।

इसी आदेश के मुताबिक, मामले में बाकी चार अभियुक्तों मोहम्मद सलीम, राहुल भोला, मन्नू यादव तथा कुणाल अशोक चौधरी को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन (प्रतिषेध) अधिनियम की धारा-पांच के तहत 10-10 वर्ष की कैद और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा हुई है।

20 जून 2021 को एटीएस लखनऊ के थाने में हुआ था एफआईआर

पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया गया कि उप निरीक्षक विनोद कुमार ने 20 जून 2021 को इस मामले में लखनऊ के एटीएस थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इन सभी आरोपियों पर तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 120 बी, 121ए, 123, 153ए, 153बी, 295ए और 298 के साथ ही उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5/8 के तहत आरोप लगाए गए थे।

विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह के मुताबिक, उमर गौतम और मामले के अन्य अभियुक्त एक साजिश के तहत धार्मिक उन्माद, वैमनस्य और नफरत फैलाकर देशभर में अवैध धर्मांतरण का गिरोह चला रहे थे। उनके तार दूसरे देशों से भी जुड़े हैं। इसके लिए आरोपी हवाला के जरिए विदेशों से धन भेजे जाने के मामले में भी लिप्त थे।

वे आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं और दिव्यांगों को लालच देकर और उन पर अनुचित दबाव बनाकर बड़े पैमाने पर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे थे। पुलिस के मुताबिक, मोहम्मद उमर गौतम को मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी के साथ 20 जून 2021 को दिल्ली के जामिया नगर से गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस ने बताया कि वे एक संगठन का संचालन कर रहे थे जो उत्तर प्रदेश में मूक- बधिर छात्रों और गरीब लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित कराने में शामिल था और इस बात की आशंका है कि इसके लिए उन्हें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से धन मिलता था।

NIA टीम की फाइल फोटो
NIA टीम की फाइल फोटो

एफआईआर के समय यूपी के मौजूदा डीजीपी तब एटीएस के एडीजी थे

मौजूदा पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार उस समय एटीएस के अपर पुलिस महानिदेशक का दायित्व संभाल रहे थे। तब उन्होंने बताया था कि उमर गौतम पहले हिंदू था लेकिन उसने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया और धर्मांतरण कराने में सक्रिय हो गया।

उन्होंने उमर के हवाले से बताया था कि उसने करीब एक हजार गैर मुस्लिम लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित कराया और उनकी मुस्लिमों से शादी कराई है। यह अभियान जामिया नगर में स्थित इस्लामिक दावा सेंटर नामक संस्था के जरिये चलाया जा रहा था।एटीएस ने यह भी दावा किया कि बहरीन से अवैध रूप से 1.5 करोड़ रुपये और अन्य खाड़ी देशों से 3 करोड़ रुपए का फंड आया था।

कलीम ने इस्लामिक दावाह सेंटर में धर्मांतरण गतिविधियों में उमर और मुफ्ती काजी की मदद की। मौलाना कलीम वलीउल्लाह नाम से एक ट्रस्ट भी ऑपरेट करता था, जो पूरे देश में सामाजिक सद्भाव के नाम पर कार्यक्रम चलाता है, लेकिन इसकी आड़ में धर्मांतरण का रैकेट ऑपरेट होता था।

वहीं, ईडी ने भी एटीएस केस के आधार पर जून 2021 में मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी और इस्लामिक दावा सेंटर (आईडीसी) के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत मामला दर्ज किया था।

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