रांची: पश्चिमी देशों की ही तरह अब भारत के लोगों में चाइल्ड फ्री लाइफस्टाइल का क्रेज बढ़ता जा रहा है। डिंक (डबल इनकम नो चाइल्ड) यानी बिना बच्चों वाले कामकाजी दंपती भारत में हर साल 30% की दर से बढ़ रहे हैं।
गिटनक्स मार्केट डेटा रिपोर्ट-2024 के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद इस लाइफस्टाइल का क्रेज बढ़ा है। दंपती को लगता है कि वे बच्चों की जिम्मेदारी नहीं उठा सकेंगे।
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में डिंक्स लाइफस्टाइल जीने वाले दंपती गांवों में शहरों से करीब दोगुने थे। जहां शहरों में दो लोगों के परिवार में डिंक्स दंपती 22% थे।
वहीं गांवों में वे 42% थे। प्यू रिसर्च की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 61% मिलेनियल्स का कहना है कि वे इतना नहीं कमाते कि बच्चों की अच्छी परवरिश कर सकें।
35 साल की हरलीन विज कहती हैं- कोरोना महामारी के बाद जब नौकरियों की कमी थी। कर्ज और महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा था तो बच्चे की जिम्मेदारी न लेना एक समझदारी भरा फैसला था।
कोलकाता में रहने वाली पेशे से फिल्म क्रिटिक 33 साल की देबीपर्णा चक्रबर्ती कहती हैं बच्चे की जिम्मेदारी न होना आजादी देता है। हमारा समय हमारा होता है।
हम चाहे जैसे अपनी जिंदगी जी सकते हैं। अपने लिए कुछ भी प्लान करने के लिए हमें बच्चे का शेड्यूल नहीं देखना पड़ता।