रांची: झारखंड विधानसभा सत्र के दौरान SIR प्रक्रिया को लेकर सदन के बाहर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। जहां एक ओर जदयू विधायक सरयू राय ने इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की आपत्तियों को “बेमतलब और बेईमानी” करार दिया, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने केंद्र सरकार पर SIR को गलत तरीके से लागू करने का आरोप लगाया। इसी बीच कांग्रेस विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने गढ़वा जिले में हुए कथित घोटालों को सदन में उठाने की बात कही।
सरयू राय का बयान:
वरिष्ठ विधायक सरयू राय ने कहा कि चुनाव आयोग को मतदाता सूची पुनरीक्षण का पूरा अधिकार है और उसका विरोध करना राजनीतिक बेईमानी है। उन्होंने कहा, “हर साल दो बार मतदाता सूची का रिवीजन होता है — जनवरी और जुलाई में। चुनाव आते ही शोर मचाना बेवजह है। अगर गड़बड़ी है, तो पार्टियों को अपने बूथ लेवल एजेंट्स के माध्यम से उसे सुधारने का अवसर भी दिया जाता है।”
दीपिका पांडे सिंह का हमला:
मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “SIR को जिस तरह हड़बड़ी में लागू किया गया, वह दर्शाता है कि केंद्र किसी भी योजना को ठीक से लागू नहीं कर पा रही है। यह उसी तरह की विफलता है जैसे नोटबंदी में देखी गई थी। हम SIR को लागू करने के इस तरीके का विरोध करते हैं।”
सत्येंद्रनाथ तिवारी ने खोले घोटालों के पन्ने:
कांग्रेस विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि गढ़वा जिले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, जिसे विधानसभा में उठाया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि जल जीवन मिशन में पूर्व मंत्री द्वारा ₹200 करोड़ का घोटाला किया गया है, जबकि ट्रांसफर-पोस्टिंग की नीलामी जैसी स्थिति राज्य प्रशासन को खोखला कर रही है।
विवादों के बीच आगे क्या?
4 अगस्त को सत्ता पक्ष SIR के खिलाफ सदन में विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में है। वहीं, विपक्षी दल इसे निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं।
साफ है कि SIR की प्रक्रिया सिर्फ तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि झारखंड की राजनीति में एक बड़ा सियासी हथियार बनता जा रहा है।