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Big Breaking- मशहूर क्रिकेटर शेन वॉर्न की हृदयाघात से मौत

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New Delhi : ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के दिग्गज शेन वार्न का 52 साल की उम्र में निधन हो गया है. बताया जा रहा है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उनकी मौत हो गई. वे थाईलैंड में मौजूद थे. जानकारी के मुताबिक शेन वॉर्न अपने विला में मौजूद थे, जहां उन्हें अचेत पाया गया.

शेन वॉर्न के मैनेजमेंट द्वारा जारी बयान में कहा गया कि उनकी मृत्यु थाईलैंड के कोह सामुई में हुई. शेन वार्न अपने विला में अचेत अवस्था में पाए गए और चिकित्सा कर्मचारियों के बेस्ट प्रयासों के बावजूद, उन्हें पुनर्जीवित नहीं किया जा सका.

ऐसे बदली वॉन की जिंदगी

महान स्पिनर शेन वॉर्न ने 1993 के एशेज के दौरान मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट में इंग्लैंड के माइक गेटिंग को जिस गेंद पर बोल्ड किया था, उसे क्रिकेट इतिहास की सर्वश्रेष्ठ गेंद कही जाती है. उस गेंद ने वॉर्न की जिंदगी बदल कर रख दी थी.

लगभग सभी दिग्गजों को अपनी फिरकी के जाल में फंसाया

वॉर्न ने कलाई की जादूगरी से अपने समय के लगभग सभी दिग्गजों को अपनी फिरकी के जाल में फंसाया. वॉर्न ने अपने 145 मैचों के टेस्ट करियर में 708 विकेट चटकाए, जो मुथैया मुरलीधरन (800 विकेट) के बाद टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक है.

आईपीएल में की थी कप्तानी

शेन वॉर्न ने अपना आखिरी टेस्ट जनवरी 2007 में खेला. 1999 में वह ऑस्ट्रेलिया के उपकप्तान भी बने, लेकिन उन्हें कभी कप्तान बनने का मौका नहीं मिला. वैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद वॉर्न ने आईपीएल में पहली बार कप्तानी की और पहले ही सीजन में राजस्थान रॉयल्स को चौम्पियन बना डाला.

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सालखन मुर्मू के बिगड़े बोल- ग्राम प्रधान और मांझियों को बताया पियक्कड़ और अनपढ़

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Ranchi– सालखन मुर्मू के बिगड़े बोल – पूर्व सांसद और सेगल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू  ने

कहा है कि अधिकांश आदिवासी ग्राम प्रधान और परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के तहत कार्य करने

वाले मांझी पियक्कड़ और अनपढ़ है.

पूर्व सांसद ने कहा कि इनका पद वंशानुगत होता है, इनके चयन में गांव वालों की कोई भूमिका नहीं होती है,

इन ग्राम प्रधानों और मांझियों को न तो संविधान की जानकारी है और न ही कानून कायदे की.

इन्हे सिर्फ हड़िया पीने और नाचने गाने से मतलब होता है. यही कारण है कि ये बेलगाम होते हैं.

किसी को डायन बता कर जुर्माना लगा देते हैं. फिर इस पैसे को खा-पीकर बर्बाद कर देते हैं.

अब समय आ गया है कि ग्राम प्रधान का चयन ग्रामीणों के द्वारा किया जाय.

सालखन मुर्मू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में संवेदनशीलता के साथ दखल देने का आग्रह किया.

सलखान मुर्मू ने कहा कि झारखंड में काभी बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी हो रही है,

बालू और कोयले की तस्करी की जा रही है.

राजस्व का पैसा लोग अपने पॉकेट में भर रहे हैं, इस पर अंकुश लगाने की जरुरत है,

सरकार के काम काज पर टिप्पणी करते हुए सालखन मुर्मू ने कहा कि राज्य के मंत्री

अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं.

रिपोर्ट- उज्जवल 

स्थानीय नीति को लेकर 13 मार्च को खतियान महापंचायत

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स्थानीय नीति को लेकर 13 मार्च को खतियान महापंचायत

हजारीबाग : स्थानीय नीति को लेकर 13 मार्च को खतियान महापंचायत- खतियान आधारित

स्थानीय नीति की मांग को लेकर हजारीबाग निर्मल महतो पार्क में बैठक का आयोजन किया गया.

जिसमें हजारीबाग में आंदोलन को धार देने को लेकर चर्चा हुई.

बैठक शुरू होने से पूर्व शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया गया.

13 मार्च को कटकमसांडी में खतियान महापंचायत

बैठक में निर्णय लिया गया कि कटकमसांडी प्रखंड मैदान में

13 मार्च को खतियान महापंचायत का आयोजन किया जायेगा.

इसमें सम्पूर्ण हज़ारीबाग़ के लोग शामिल होंगे. इस कार्यक्रम में राज्य स्तर के नेता भी शामिल होंगे.

सरकार जल्द ले फ़ैसला

बैठक में माटी का स्वाभिमान आंदोलन के प्रदेश संयोजक संजय मेहता ने कहा कि पूरा झारखंड जाग गया है. हर कोने से आवाज़ आ रही है. हर ज़िले में आंदोलन हो रहा है. सरकार को इस पहलू पर जल्द फ़ैसला लेने की ज़रूरत है. यह जनभावना को सम्मान देने की बात है. बैठक में माटी का स्वाभिमान आंदोलन के हजारीबाग संयोजक विजय सिंह भोक्ता ने कहा कि झारखंड निर्माण के दो दशक से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी अब तक झारखंड की स्थानीय नीति का झारखंडी जन भावनाओं के अनुरूप परिभाषित न होना दुर्भाग्य की बात है.

झारखंड के लोगों की हो रही हकमारी

सह संयोजक अलाउद्दीन अंसारी ने कहा कि राज्य में झारखंड के ही लोगों की हकमारी की जा रही है. नौकरी में झारखंड के लोगों को नीतिगत तौर पर अवसर नहीं मिल पा रहा है. मनोहर माली ने कहा कि बिना नीति नियुक्ति होना अवसर की समानता के संवैधानिक अधिकार को कुचलने के समान है. सरकार को संविधान के मूल्यों का भी ख़्याल रखना होगा.

स्थानीय नीति नहीं बन पाने नियोजन में आ रही समस्या

रामजी ने कहा कि देश के सभी राज्यों की अपनी-अपनी स्थानीय नीति है. लेकिन आज तक झारखंड में झारखंडी जन भावनाओं के अनुरूप स्थानीय नीति नहीं बन पायी. जिसके कारण नियोजन में समस्या आ रही है. आर्यकांत ने कहा कि स्थानीय नीति ही नियोजन नीति को तय करेगा. झारखंड की नौकरियों में पहला अधिकार झारखंड के लोगों का होना चाहिए.

बंदी वापस लें बाहरी लोग

माटी का स्वाभिमान आंदोलन समिति के लोगों ने एक स्वर में कहा कि जिन बाहरी लोगों ने 6 मार्च को बंदी का एलान किया है, उन्हें झारखंडी जन भावनाओं का सम्मान करते हुए यह बंदी वापस ले लेना चाहिए. उन्हें भी खतियान आधारित स्थानीय नीति का समर्थन करना चाहिए. उनके बंदी करने से झारखंड के लोगों में बाहरी लोगों के प्रति और घृणा पनपेगी.

माटी का स्वाभिमान हजारीबाग कमिटी गठित

आंदोलन को आगे बढ़ाने लिए माटी का स्वाभिमान आंदोलन की हजारीबाग कमिटी गठित की गयी. कमिटी में हजारीबाग ज़िला संयोजक विजय सिंह भोगता, ज़िला सह संयोजक अलाउद्दीन अंसारी एवं सूरज कुमार, ज़िला सचिव विजय मेहता, कोषाध्यक्ष राम कुमार, मीडिया प्रभारी मनोहर माली, कार्यसमिति सदस्य में कुणाल कुमार, प्रशांत कुमार,कैलाश गंझु, मक़सूद आलम, सद्दाम अंसारी, अलिज़ान अंसारी, आरिफ़ अंसारी, शेर अली, राजीव कुमार, आदित्य कुमार, मुकेश कुमार, आर्यकांत मेहता, राजा कुमार, कौलेश्वर साहू, भोला शंकर गुप्ता, जेपी मेहता, कैलाश मेहता, किशोर मेहता, बासुदेव साव, विजय कुमार, पिंटू गंझु को शामिल किया गया है.

रिपोर्ट: सुरेंद्र कुमार सिंह

1932 का खतियान के पक्ष में उतरे सुदेश महतो, कहा भाषा-संस्कृति का संरक्षण बेहद जरुरी

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Ranchi-आजसू सुप्रीमो और विधायक सुदेश महतो ने विधान सभा में कहा है कि झारखंड की जनता का हित यहां की भाषा- संस्कृति का संरक्षण और 1932 का खतियान को लागू करने में है.

रोजगार देने के वादे के साथ सत्ता में आयी सरकार ने पिछले वर्ष को रोजगार वर्ष घोषित किया था, लेकिन युवाओं को रोजगार नहीं मिला. सरकारी विभागों में लाखों पद खाली है, बजट का मात्र 16 फीसद राशि खर्च की जाती है. सरकार के पास कोई प्लानिंग नहीं है. निजी क्षेत्रों में लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. सरकार के पास कोई स्थानीय नीति नहीं है,

सरयू राय ने की बजट की प्रशंसा, क्रियान्वयन पर उठाये सवाल

निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि बजट तो अच्छा है, इससे बेहतर बजट की उम्मीद नहीं की जा सकती थी. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इसके क्रियान्वयन का है, कौन इसका क्रियान्वयन कैसे होगा. इसकी रखवाली कौन करेगा.

रिपोर्ट- मदन 

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गलवान में शहीद जवानों के परिजनों को KCR ने सौंपा 10-10 लाख का चेक

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गलवान में शहीद जवानों के परिजनों को KCR ने सौंपा 10-10 लाख का चेक

रांची : गलवान में शहीद जवानों के परिजनों को KCR ने सौंपा 10-10 लाख का चेक- मुख्यमंत्री

हेमंत सोरेन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने

गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों के परिजनों से मुलाकात की.

तेलंगाना के सीएम केसीआर ने साहिबगंज के सिपाही स्व. कुंदन कुमार ओझा एवं

बहरागोड़ा के स्व. गणेश हांसदा के परिजनों को अनुग्रह सहायता राशि के तौर पर 10-10 लाख रुपये का चेक सौंपा.

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इस मौके पर चंद्रशेखर राव ने कहा कि गलवान घाटी में तेलंगाना के कर्नल संतोष बाबू भी शहीद हुए थे. उस समय ही राज्य सरकार ने निर्णय लिया था कि संतोष बाबू के साथ शहीद सभी जवानों के परिजनों को तेलंगाना सरकार आर्थिक मदद करेगी. उसी परिपेक्ष्य में आज झारखण्ड के वीर शहीदों के परिजनों को अनुग्रह राशि प्रदान की गई है.

अलग तेलंगाना राज्य के लिए गुरूजी ने किया था सहयोग- केसीआर

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मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने बताया कि जब उन्होंने अलग तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन शुरू किया था, उस समय राज्य सभा सांसद शिबू सोरेन का सहयोग प्राप्त हुआ था. राज्य गठन तक वे हमारे साथ बने रहे थे. यहां आकर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ है.

ये मंत्री भी रहे मौजूद

इस अवसर पर मंत्री वी श्रीनिवास गौड़, एमएलसी कविता राव, तेलंगाना प्लानिंग बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार, राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, तेलंगाना के मुख्य सचिव सोमेश कुमार, राज्य के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे एवं अन्य उपस्थित रहे.

रिपोर्ट: मदन सिंह

शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को किया याद

रोजगार देने के वादे के साथ सत्ता में आयी सरकार युवाओं पर बरसा रही है लाठियां- अमित महतो

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Ranchi- भाजपा विधायक अमित महतो ने आज विधान सभा में हेमंत सरकार पर रुपा तिर्की और पूजा भारती हत्या कांड मामले को गलत तरीके से हैंडल करने का आरोप लगाया. हेमंत सरकार पर बरसते हुए अमित महतो ने कहा कि युवाओं को रोजगार देने के  वादे के साथ सत्ता में आयी सरकार जेपीएससी अभ्यर्थियों पर लाठी बरसा रही है, युवाओं को दौड़ा दौड़ा कर पिटा जा रहा है.

सरकार की गलत नीतियों के कारण ही झारखंड इज ऑफ डूइंग बिजनेस में दूसरे स्थान से फिसल कर चौथे स्थान पर पहुंच गयी. सरकार पोषण सखियों को हटाने की साजिश रच रही है.

सरकार बजट में युवाओं को रोजगार के अवसर देने  की बात करती है, लेकिन मुख्यमंत्री इसके साथ यह भी कहते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरी नहीं दी जा सकती.

हालत यह है कि कभी युवाओं को मुर्गी बकरी पालन की सलाह दी जाती है तो कभी गौ पालन करने की. लेकिन वादा तो नौकरी की गयी थी. अमित महतो ने हेमंत सरकार पर हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए युवाओं को ठगने का आरोप लगाया. अमित महतो ने भाषा विवाद पर भी जमकर बोला और सरकार से  गोड्डा कुरुमाली भाषा को शामिल करने का आरोप लगाया

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दो साल बाद राज्य स्तरीय अंडर-14 फुटबॉल का शुभारंभ

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दो साल बाद राज्य स्तरीय अंडर-14 फुटबॉल का शुभारंभ

मुजफ्फरपुर : दो साल बाद राज्य स्तरीय अंडर-14 फुटबॉल का शुभारंभ- मुजफ्फरपुर में

दो साल बाद राज्य स्तरीय अंडर-14 फुटबॉल का शुभारंभ हुआ है.

इस बार जिला मुजफ्फरपुर को मेजबानी मिली है.

राज्य सरकार की कला एवं संस्कृति मंत्रालय ने अंडर-14 फुटबॉल प्रतियोगिता के आयोजन की जिम्मेदारी दी है.

चार दिनों तक चलने वाले राज्य स्तरीय अंडर-14 फुटबॉल प्रतियोगिता का शुभारंभ शुक्रवार को हुआ.

इस प्रतियोगिता में राज्य के 39 टीम हिस्सा ले रही है.

जिसमें 38 जिलों के साथ एक एकलव्य टीम भी शामिल है.

पहले दिन भाग ले रहे सभी टीम के आयोजित किया गया. जिसको लेकर खिलाड़ियों में भी बेहद उत्साह है. वहीं खेल का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर शुरू किया गया.

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इस मौके पर नगर निगम के मेयर सुरेश कुमार, एडीएम अजय कुमार और मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने हिस्सा लिया. मैच के आयोजन से पहले सभी ने खिलाड़ियों से परिचय जाना. जिसके बाद खेल की शुरुआत की गई.

आपको बता दें कि कोरोना काल में 2 साल से खेल का आयोजन नहीं हुआ था. लेकिन इस बार फिर से राज्य स्तरीय अंडर-14 फुटबॉल प्रतियोगिता का शुभारंभ किया गया. वहीं जिला खेल पदाधिकारी ने बताया कि खेल को लेकर विशेष उत्साह है. इसका आयोजन मुजफ्फरपुर जिले को मिली है. जिसको लेकर खिलाड़ियों में और आयोजकों में भी उत्साह बना हुआ है.

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Russia Ukraine War : मौत का मंजर देख यूक्रेन से लौटी निधि, आज भी डराती है यादें

रिपोर्ट : विशाल

शिक्षक नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

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शिक्षक नियुक्ति मामले में झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

Ranchi– झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में शिक्षक नियुक्ति मामले में सुनवाई हुई.

सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब को मानने से इनकार कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कार्मिक सचिव और शिक्षा सचिव कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं कर पहले ही अवमानना किया जा चुका है.

इस दौरान सरकार की ओर से अंतिम मौके की मांग की गई. जिस पर अदालत ने कहा कि अगर दो

सप्ताह में कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उक्त अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट अवमानना नोटिस जारी करेगी.

बता दें कि इस संबंध में कविता कुमारी और अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी.

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने गैर अनुसूचित सिर्फ दो जिलों में संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति की है.

बाकी 9 जिलों में अभी तक मामला लंबित रखा गया है, जबकि जे एस.एस. सी की ओर से देने

की अनुशंसा वर्ष 2018 में की गयी थी.

कोर्ट ने पूर्व में सरकार को इनकी नियुक्ति करने का आदेश दिया था.

लेकिन सरकार अभी तक इनकी नियुक्ति की नहीं की है.

जिसके बाद अवमानना याचिका पर सुनवाई हो रही है.

रिपोर्ट- प्रोजेश 

Russia Ukraine War : मौत का मंजर देख यूक्रेन से लौटी निधि, आज भी डराती है यादें

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कटिहार : Russia Ukraine War : मौत का मंजर देख यूक्रेन से लौटी निधि, आज भी डराती है यादें- यूक्रेन के

खारकीव से मेडिकल छात्रा निधि झा अपने घर लौट आयी हैं.

लेकिन मेडिकल छात्रा के आंखों में अब भी उस दहशत का मंजर है.

जिसे याद कर कर वह सिहर उठती हैं. मगर इन सबके बीच आगे अब

उसे अपने डॉक्टर बनने के सपना को पूरा होने की अलग ही डर सता रहा है.

जहां देखो युद्ध का खौफनाक मंजर है. इमारतें धराशायी हो चुकी हैं.

मेडिकल छात्रा ने बताया कि सड़कों, इमारतों पर बमबारी और मिसाइल हमलों के निशान हैं. खारकीव में हम और हमारे साथी जान जोखिम में डालकर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे. उन्होंने कहा कि अपने वतन से अच्छी जगह दुनिया में कहीं नहीं है. न जाने कितने छात्र-छात्राएं अभी भी वहां फंसे हुए हैं. भगवान उनकी हिफाजत करे, बस यही कामना है. युद्ध की आग में जलते यूक्रेन से सकुशल अपने घर लौटे कटिहार के छात्रा ने रोंगटे खड़े कर देने वाले कुछ ऐसे ही अनुभव साझा किए.

ट्रेन में खड़े होकर पोलैंड बॉर्डर तक पहुँची थी निधि

निधि कहती हैं कि जीवन के वह 19 घंटा जिसमें वह मौत का मंजर का सामना करते हुए ट्रेन में खड़े होकर पोलैंड बॉर्डर तक पहुंची थीं. वह उसे कभी नहीं भूल पाएंगे. हालांकि निधि कहती हैं कि पोलैंड बॉर्डर में आने के बाद भारत सरकार के मंत्री वीके सिंह उन लोगों का साथ मिलकर उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने आगे की सफर से जुड़े तमाम व्यवस्था करते हुए आगे की मेडिकल की पढ़ाई अगर यूक्रेन में संभव नहीं होता है तो यूरोपियन कंट्री में ही पूरा करवाने का आश्वासन दिए हैं.

राजद के वरिष्ठ नेता ने की मुलाकात

ऐसे में घर लौट आई निधि और उनके परिजन उनके डॉक्टर बनने के सपनों को पूरा करने के लिए भारत सरकार से सहयोग करने के साथ-साथ भारत में ही ऐसी व्यवस्था विकसित करने की मांग कर रहे हैं. जिसके सहारे बगैर डोनेशन के देश के बच्चे देश में ही डॉक्टर बनकर देश की सेवा कर सके. वहीं निधि से मिलने आये राजद के वरिष्ठ नेता समरेंद्र कुणाल ने देश में चल रहे मेडिकल पढ़ाई की लचर व्यवस्था पर सरकार पर जमकर बरसे.

रिपोर्ट: श्याम

1932 का खतियान की बात करने वालों ने किसी खतियानी को जेपीएससी का चेयरमैन क्यों नहीं बनाया- सीपी सिंह

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1932 का खतियान की बात करने वालों की सरकार में जेपीएससी का चेयरमैन खतियानी क्यों?

Ranchi-भाजपा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने विधान सभा में बजट पर बोलते हुए सरकार पर जोरदार हमला बोला है, सीपी सिंह ने कहा कि यह अबुआ दिशोम अबुआ राज नहीं बल्कि अबुआ दिशोम बबुआ राज है.

मोरहाबादी मैदान में एक दुकानदार के पिता के द्वारा फांसी लगाने के सवाल पर कहा कि वह वीआईपी इलाका, सभी अधिकारी इसी इलाके में रहते हैं, लेकिन यह एरिया भी सुरक्षित नहीं रहा.

दिन दहाड़े गोली चलाई जा रही, अपराधियों का तांडव मचा है. लेकिन इसकी सजा दुकानदारों को दिया जा रही है, उनके दुकान बंद करवा दिए गए, आर्थिक तंगी के कारण दुकानदार ने आत्महत्या कर ली.

सरकार 1932 के खतियान की बात करती है, लेकिन जेपीएससी का चेयरमैन तो 1932 का खतियानी नहीं है.राज्य में बालू का अवैध उत्खनन, ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल चल रहा है. लूट, हत्या, अपहरण और दुष्कर्म की घटनाएं हो रही है.

कोरोना काल में तबाही मची थी, लेकिन सरकार इस पर कंट्रोल करने में विफल रही. सरकार पूरी तरह युवा विरोधी सरकार है. सरकार का दावा पांच लाख का नौकरी देने का था, लेकिन कहां है नौकरी.

युवा मुख्यमंत्री अपने 26 माह में एक नियोजन नीति नहीं बना सके. विधान सभा में नमाज कक्ष का आवंटन कर सरकार तुष्टिकरण की प्रकाष्ठा कर रही है.

सरकार पत्थलगढ़ी के मामले को वापस ले रही है, हिंदी को हटाकर उर्दू को शामिल किया जा रहा है. एक समुदाय विशेष के द्वारा स्व घोषित हलफनामा देकर जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जा रहा है.

आदिवासियों के नाम पर सिर्फ राजनीति की जा रही है,आदिवासियों की जमीन की सबसे अधिक किसने की सरकार को इसकी लिस्ट जारी करनी चाहिए. 82 विद्यायकों जमीन की लूट की है. अपने 26 महीने के कार्यकाल में सरकार नाकाम रही है.

रिपोर्ट- मदन