Tuesday, September 9, 2025

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बिहार के 22 जिलों में होगा पपीता क्षेत्र विस्तार,  किसानों की आय वृद्धि और बागवानी क्षेत्र को मिलेगी नई दिशा- विजय सिन्हा

पटना. उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2026-27 तक कुल दो वर्षों की अवधि के लिए पपीता विकास योजना को स्वीकृति प्रदान की गई है। इस योजना पर कुल 01 करोड़ 50 लाख 75 हजार रुपये की लागत व्यय होगी। इसके अधीन वित्तीय वर्ष 2025-26 में 90 लाख 45 हजार रुपये की निकासी एवं व्यय की स्वीकृति दी गई है।

उन्होंने कहा कि यह योजना केंद्र प्रायोजित है, जिसमें केंद्र और राज्य का अंशदान 40-40 प्रतिशत है। इसके साथ ही राज्य योजना मद से 20 प्रतिशत अतिरिक्त टॉप-अप का प्रावधान भी किया गया है, जिससे किसानों को और अधिक लाभ मिलेगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पपीते की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाना, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना तथा किसानों की आय में बढ़ोतरी सुनिश्चित करना है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पपीता क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत किसानों को दी जाने वाली अनुदान राशि का भुगतान दो वर्षों में 60ः40 अनुपात में किया जाएगा। इस योजना के तहत पपीते की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 75 हजार रुपये की इकाई लागत प्रस्तावित है। पपीता उत्पादन के लिए 2.2 मीटर की दूरी पर पौधे लगाने की व्यवस्था की गई है, जिससे प्रति हेक्टेयर लगभग 2500 पौधों की आवश्यकता होगी।

उन्होंने आगे कहा कि इकाई लागत 75 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर पर भारत सरकार की मार्गदर्शिका के अनुसार 40 प्रतिशत अनुदान और राज्य योजना से अतिरिक्त 20 प्रतिशत टॉप-अप के साथ कुल 60 प्रतिशत अर्थात् 45 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी, जिसमें पहली किस्त के रूप में 27 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और दूसरी किस्त के रूप में 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा।

विजय सिन्हा ने कहा कि इस योजना का कार्यान्वयन राज्य के 22 जिलों भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, लखीसराय, मधेपुरा, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, गया, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पटना, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, सहरसा, समस्तीपुर, मधुबनी और वैशाली में किया जाएगा। किसानों को न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) से अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) तक योजना का लाभ मिलेगा।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पपीता विकास योजना के सफल क्रियान्वयन से राज्य में बागवानी क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी। इससे उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होगी तथा किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय सुधार होगा।

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