पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पटना में स्थित पार्टी कार्यालय खाली करने के मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए 15 दिनों का अतिरिक्त समय दिया है। कोर्ट ने भवन निर्माण विभाग के आदेश पर 13 नवंबर तक स्टे लगाया है। रालोजपा की याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ में लंबी सुनवाई के बाद फैसला लिया गया और रालोजपा को राहत दी गई।
आया पार्टी का रिएक्शन
कार्यालय करने के आदेश पर हाई कोर्ट से स्टे आर्डर मिलने के बाद पार्टी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि निश्चित रूप से यह पार्टी और पार्टी के नेताओं के लिए राहत की बात है। हमारी पार्टी को राज्य स्तर के पार्टी का दर्जा प्राप्त है। चुनाव आयोग के गाइडलाइन के अनुसार हमें एक कार्यालय मिलना चाहिए। अगर भवन निर्माण विभाग यह कार्यालय नहीं देती है और कहीं अन्य जगह पर पार्टी कार्यालय देती है तो भी चलेगा। हमलोगों को इससे मतलब नहीं है कि यही कार्यालय चाहिए, हमें बस अपने कार्यालय से मतलब है वह मिलना चाहिए।
बता दें कि 22 अक्टूबर को भवन निर्माण विभाग की तरफ से रालोजपा को एक नोटिस दी गई थी जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि यह कार्यालय लोक जनशक्ति पार्टी को दी गई थी और इसका रिन्युअल नहीं हुआ है और ऐसी स्थिति में कार्यालय सात दिनों के अंदर खाली कर दें अन्यथा हम विधि के अनुसार बलपूर्वक खाली करवाने के लिए बाध्य होंगे। भवन निर्माण विभाग के नोटिस के बाद पशुपति पारस की पार्टी हाई कोर्ट पहुंची जहां लंबी बहस के बाद निर्णय लिया गया और पार्टी को 13 नवंबर तक का समय मिल गया।
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