दानापुर : पटना मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PMRCL) के दानापुर-सगुना मोड़ तक हो रहे निर्माण कार्य में भारी अनियमितताओं की पोल खुलने लगी है। टेंडर दस्तावेजों के मुताबिक, कंपनी को मेट्रो निर्माण के साथ-साथ वास्तु फिनिशिंग, जलापूर्ति, शौचालय, ड्रेनेज और फायर अलर्ट जैसी सुविधाओं का भी प्रावधान करना था, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। दरअसल, गोला रोड-बेली रोड स्थित पेट्रोल पंप के पास मेट्रो पिलर के निर्माण के दौरान जल निकासी की व्यवस्था के नाम पर सिर्फ एक छोटा-सा पाइप लगा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि बरसात शुरू होते ही दानापुर नगर परिषद के नौ वार्डों (12, 14, 15, 16, 17, 37, 38, 39 और 40) में जलजमाव की भयावह स्थिति बन गई।
मेट्रो निर्माण की वजह से पहले से मौजूद बड़े आहर को बंद कर दिया गया
स्थानीय लोगों का कहना है कि मेट्रो निर्माण की वजह से पहले से मौजूद बड़े आहर को बंद कर दिया गया और उसकी जगह एक बेहद छोटा नाला बना दिया गया। यही नहीं, जिस तरफ घनी आबादी है उस तरफ जल निकासी का रास्ता छोड़ने के बजाय मेट्रो कंपनी ने सड़क के विपरीत दिशा से पानी निकालने की व्यवस्था की। नतीजा यह हुआ कि आधा दर्जन से अधिक वार्डों में घरों तक पानी घुस गया और लोग दिनों तक जलजमाव में जीने को मजबूर हो गए। नगर परिषद प्रशासन का आरोप है कि मेट्रो द्वारा लगाए गए मोटर पंप तक को मेट्रो कर्मी चालू नहीं करते, जिससे हालात और बिगड़ जाते हैं।
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मेट्रो निर्माण से पहले यह आपसी सहमति बनी थी कि नाले का प्राकृतिक धारा प्रवाह बाधित नहीं होगा – कार्यपालक पदाधिकारी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पंकज कुमार ने साफ कहा कि मेट्रो निर्माण से पहले यह आपसी सहमति बनी थी कि नाले का प्राकृतिक धारा प्रवाह बाधित नहीं होगा। मगर वर्तमान हालात इस सहमति का मजाक उड़ा रहे हैं। नगर परिषद ने कई बार पत्राचार कर मेट्रो अधिकारियों को इस गंभीर समस्या से अवगत कराया, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यहां कम से कम छह फीट चौड़ा नाला छोड़ा जाता तो जलजमाव जैसी स्थिति नहीं बनती। कंपनी की मनमानी और लापरवाही से आज दानापुर के हजारों लोग अपने ही घरों में कैद होकर जल संकट और गंदगी की मार झेल रहे हैं। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट का बोझ आखिर आम जनता क्यों उठाए।
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पृथ्वी कुमार की रिपोर्ट
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