Sunday, June 29, 2025

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हेरहंज गांव में पुल नहीं होने से 4 दिनों से नदी के उफान में फंसे हैं लोग

गयाजी : इमामगंज प्रखंड के सलैया पंचायत के पथरा, केबलडीह और हेरहंज गांव में पुल नहीं होने से गांव के लोग चार दिनों से नदी के उफान में फंसे हैं। लगातार बारिश से नदी का जलस्तर बढ़ गया है। गांव का बाकी दुनिया से संपर्क टूट गया है। इसी बीच गांव के एक 45 वर्षीय व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई। लेकिन नदी में पानी अधिक होने से समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके। इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। जब नदी का पानी थोड़ा कम हुआ, तब ग्रामीणों ने उनका दाह संस्कार के लिए भी नदी से होकर शव यात्रा किसी तरह निकाला और अंतिम संस्कार किया।

हेरहंज गांव में पुल नहीं होने से 4 दिनों से नदी के उफान में फंसे हैं लोग

घटना से गांव के लोग आक्रोशित हैं, मृतक की अर्थी के साथ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

घटना से गांव के लोग आक्रोशित हैं। मृतक की अर्थी के साथ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने ‘पुल नहीं तो वोट नहीं’ का नारा लगाते हुए विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का ऐलान कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के इतने साल बाद भी गांव में पुल नहीं बन सका। हर साल बारिश में गांव का संपर्क टूट जाता है। लोग इलाज और जरूरत की चीजों के लिए नदी पार नहीं कर पाते। कई बार आंदोलन किया, आवेदन दिया, नेताओं से गुहार लगाई, लेकिन सरकार ने अब तक सुनवाई नहीं की। तीनों गांवों की करीब 10 हजार आबादी इस समस्या से जूझ रही है।

कोई नेता वोट मांगने आएगा तो उन्हें गांव की सड़क पर बैठाकर जवाब देंगे – ग्रामीण

ग्रामीणों ने कहा कि इस बार कोई नेता वोट मांगने आएगा तो उन्हें गांव की सड़क पर बैठाकर जवाब देंगे। जब तक पुल नहीं बनेगा, तब तक कोई भी वोट नहीं देगा। बारिश के मौसम में स्कूल के बच्चों की पढ़ाई तक रूक जाती है। बीमारों का समय पर इलाज नहीं हो पाता। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि जल्द पुल नहीं बना तो और बड़ा आंदोलन होगा। मुखिया प्रतिनिधि सांतन पासवान ने बताया कि इन तीन गांव के लोग गर्मी में पानी के लिए तरसते हैं। बरसात में इलाज के लिए । समय आए इलाज नहीं मिल पाता है। अब तक दर्जनों लोग इलाज के अभाव में मर चुके हैं। शिक्षा का भी अभाव है। स्कूल नहीं है। ये तीन गांव गया जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर स्थित है इमामगंज प्रखण्ड मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है। ये तीनो गांव तीन ओर से झारखंड से घिरा है। एक ओर से जंगल है।

मुखिया प्रतिनिधि ने पुल की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद से की

मुखिया प्रतिनिधि ने बताया कि पुल की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी व पूर्व सांसद से की। डीपीआर भी तैयार हुआ लेकिन महज तीन गांव के लिए 28 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण सरकारी गलियारा में लटक गया। वहीं प्रशांत कुमार का कहना है कि गांव के लोग का जीवन पुल के बिना संकट से घिरा है। पुल के बिना गांव का विकास नहीं हो पा रहा है।

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आशीष कुमार की रिपोर्ट

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